SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 68 ने करूं प्रणाम रे, जे- दर्शन आनंदकारी रे, तेने पाय नमे नरनारी रे, २ गणधरने त्रिपदी दीधीरे, सिद्धांत नी रचना कीधी रे, एनो अर्थ अनुपम लहीये रे, सुगुरुना वचने रहिये रे, ३ देवी चक्केश्वरी सानिध्यकारी रे तेने पाय नमे नरनारी रे, ए तो थोय रची छे सारी रे, एवा कनक सौभाग्य जयकारी रे; ४ (10) श्री सीमंधर जिन स्तुति __ मुज आंगण सुरतरु उगीयो, कामधेनुं चिंतामणी पुगीओ, सिमंधरस्वामी जो मीले, तो मननां मनोरथ सवी फले । १। हुं वंदु वीशे विहरमान, ते केवलज्ञानी युगप्रधान, सीमंधरस्वामी गुण निधान, जित्या जेणे क्रोध लोभ मद मान ।२। आंबावन समरे कोकीला, मेहने वंछे जेम मोरला, मधुकर मालती परिमल रमे, तेम आगमे मोरं मन रमे ।३। जय लच्छी शासन देवता, रत्नत्रय गुण जे साधता, विमलसुख पामे ते सदा, सीमंधरजिन प्रणमुं मुदा ।४। (11) श्री सीमंधर जिन स्तुति महाविदेह क्षेत्रमा सीमंधर स्वामी, सोनाना सिंहासनजी; रुपानो त्यां छत्र बिराजे, रत्नमणी ना दिवा दिपेजी; कुमकुम वरणी त्यां गहुंळी बिराजे, मोतीना अक्षत साराजी; त्यां बेठा सीमंधर स्वामी, बोले मधुरी वाणीजी; केसर चंदन भर्या कचोळां, कस्तुरी बरासोजी; पहेली पूजा अमारी होजो, उगमते प्रभातेजी. (12) बीजनी स्तुति जंबुद्विपे अहोनिश दीपे, दोय सूर्य दोय चंदाजी, तास विमाने श्री ऋषभादिक, शाश्वता श्री जिन चंदाजी, तेह भणी उगते शशी नीरखी, प्रणमे भवि जन चंदाजी, बीज आराधो धर्मनी बीजे, पूजी शांति जिणंदाजी...१.. द्रव्य भाव दोय भेदे पूजो, चोविशे जिन चंदाजी. बंधन दोय दूर करीने, पाम्या परमाणंदाजी. दुष्ट ध्यान दोय मतमतंगज, भेदन मत महेंदाजी. बीज तणे दिन जे आराधे, जेम जगमांही चिरनंदाजी...२. दुविध धर्म जिनराज
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy