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________________ 67 कुलमंडण कुलदीवोजी | लाख चोराशी पूरव आयु, रूक्ष्मणी वर घणुं जीवो जी....१ संप्रति काले वीश तीर्थंकर, उदया अभिनव चंदाजी । केई केवली केई बाळक परण्या, केई महीपति सुखकंदाजी। श्री सीमंधर आदि अनोपम, महाविदेहक्षेत्रे जिणंदाजी । सुरनर कोडाकोडी मळी वळी, जोवे मुख अरविंदाजी....२ सीमंधर मुख त्रिगडुं जोवा, सुणवा हुं अलजायो जी,। आडा डुंगरा आवी न शकुं, वाट विषम अरू पाणीजी | रंगभरी राग धरी पाये लागु, सूत्र अर्थ मन सारोजी । अमृत रसथी अधिक वखाणी, जीवदया चित्त धारोजी....३ पंचांगुली में प्रत्यक्ष दीठीः हुं जाणुं जगमाताजी । पहेरण चरणा चोली पटोली, अधर बिराजे राताजी । स्वर्गभुवन सिंहासन बेठी, तुं ही ज देवी विख्याताजी । सीमंधर शासन रखवाली, शान्तिकुशल सुखदाताजी....४ (8) श्री सीमंधर जिन स्तुति जग चिंतामणी सुरतरु सरीखा, सीमंधर जिनरायाजी, प्रातहारिज आठ बिराजे, कनक वरण सम कायाजी, अतिशय धारी सुविहितकारी, टाळे - भवभय फेराजी, चरणावृंद नित सेवे सुरपति, प्रणमुं उठी सवेराजी, युगमंधर बाहु सुबाहु, सुजात स्वयंप्रभ दुःखवामीजी, ऋषभानन अनंत विशाल, सुरप्रभ व्रजधर स्वामीजी, चंद्रानन चंद्रबाहु भूजंग, ईश्वर नेमी सुख धामीजी, वीरसेन महाभद्र देवदशा, अजीतने करुं प्रणामजी, २ समवसरण बेठा जिननाणी, वाणी सुधारस वरसेजी, भव दव दाह समावण जलधर, अहित ताप विनाशेजी, खीर इक्षु मधु द्राक्षने साकर, मीठी अधिक जिन वाणीजी, भविजन कर्ण कचोले पीवत, अस्थि मज्जा भेदाणीजी, ३ समकित धारी मंगलकारी, नामे पंचांगुली सारीजी, शासन रखवाळी दुष्कत टाळे, जिन आणा शिर धारीजी, सिमंधर जिन ध्यान धरंता संकट विकट चूरेजी कृष्ण विजय शिशु दिप सेवकना, मनह मनोरथ पूरेजी । ४ । (9) श्री सीमंधर जिन स्तुति सिमंधर जिन गोरारे, हुं तो ध्यान धरूं छु तोरारे, राणी रुक्ष्मणीना भरताररे, मन वांछित फल दातार रे, १ विश विहरमान जिन नामरे, वीशे
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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