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________________ वसीयतनामा :: १४३ अपने बच्चों के बच्चों के बच्चों को भी बांध लेना चाहते हैं । "मेरे लड़के की लड़की मेरी इच्छा के अनुसार शादी करेगी तो उसे इतना रुपया दिया जाय; वह न माने तो उसे कुछ भी न दिया जाय"-ऐसी-ऐसी शर्ते भी इच्छा-पत्र में दर्ज की जाती हैं। मर जाने के बाद भी ऐसे लोग अपनी ही चलाने की कोशिश करते हैं, जो मनुष्य को शोभा नहीं देता। कानून के बन्धन से और भावना के बन्धन से अपने उत्तराधिकारियों को जकड़कर बांध देना भविष्य-काल का द्रोह करना है। समय की और परिस्थिति की मांग के अनुसार चलने की स्वतन्त्रता पीछे रहने वाले लोगों को होनी चाहिए। इच्छा-पत्र का उद्देश्य अव्यवस्था टालने का और योग्य व्यक्ति को अधिकार सौंपने का होना चाहिए, खासकर अधिकार के लिए झगड़े न हों, यह एक मुख्य उद्देश्य तो जरूर हो । पुश्त-दर-पुश्त अपनी ही वह एक व्यवस्था चलती रहे, ऐसा प्राग्रह हम क्यों रक्खें? काल बदलता जाता है। उसके आदर्श और उसकी आवश्यकताएं भी बदलती रहती हैं। इच्छा-पत्र के द्वारा जिन लोगों को हम अधिकार सौंप देते हैं, वे भी चिरजीवी नहीं होते। ऐसे लोग, पता नहीं, किस प्रकार के लोगों को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर पसंद करेंगे। इसलिए, दीर्घकाल के लिए लागू हो, ऐसी कोई व्यवस्था नहीं करनी चाहिए । जो कुछ हम पीछे छोड़ जाते हैं, उसका अच्छेसे-अच्छा उपयोग जल्द-से-जल्द हो जाय, ऐसी ही व्यवस्था करनी अच्छी। . हरएक जमाने में अपरिवर्तनशील रूढ़िवादियों का एक पक्ष होता है और दूसरा प्रगतिशील लोगों का। धर्मशास्त्र के नाम से रूढ़िवादी किसी ग्रन्थ की या रिवाजों की उपयोगिता खत्म होने के बाद भी उसे जीवित रखने की कोशिश करते हैं। ऐसी हालत में, इच्छा-पत्र बनाने वाला अगर प्रगतिशील है, तो
SR No.032167
Book TitleParam Sakha Mrutyu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaka Kalelkar
PublisherSasta Sahitya Mandal Prakashan
Publication Year1979
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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