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________________ दफा ७५७-७६० ] स्त्रीधन क्या है में वह अधिकार सीमाबद्ध कर दिया गया हो तो दूसरी बात है, देखो-एक्ट नं० २१ सन् १८७० ई० की दफा २, और देखो इन्डियन सक्सेशन एक्ट ३६ सन् १९२५ ई०की दफा ६५; 24 Cal. 646; I C.W.N. 578; 83 Mad. 91. दफा ७५९ पतिके अधीन कौन जायदाद है। ____सौदायिक स्त्रीधन (दफा ७५५-१४ ) के सिवाय और सब स्त्रीधनके खर्च करने का अधिकार स्त्रीको अपने पतिकी मंजूरीके अधीन है। जब तक पतिकी रजामन्दी न हो स्त्री वसीयतके द्वारा भी उस जायदादको किसीको नहीं दे सकती, देखो-30 Bom.229; 7 Bom.L. R. 936, स्मतिचन्द्रिका का कहना है कि केवल सौदायिक स्त्रीधन परही स्त्रीका अधिकार स्वाधीन है और अन्य सब प्रकारकी जायदादपर चाहे वह स्त्रीधन भी हो उसे ऐसा अधिकार प्राप्त नहीं है। जो धन स्त्रीने अपनी दस्तकारी, या शारीरिक परि. श्रमसे या विद्याबुद्धिके द्वारा कमाया हो उसका खर्च करना पतिकी रजामन्दी के अधीन है, यानी पतिकी रजामन्दीके बिना स्त्री उस धन या जायदादका इन्तकाल नहीं करसकती और पति उसे अपने काममें लासकता है। प्राप्तं शिल्पैस्तु यदित्तं प्रीत्याचैव यदन्यतः भर्तुः स्वाम्यं भवेत्तत्र शेषंतु स्त्रीधनं स्मृतम् । कात्यायनः जो धन किसी दूसरे आदमीसे मिले या जो धन स्त्री शिल्पकारी या मौकरी आदिसे पैदा करे वह उसके पतिका होता है, इस लिये अगर पतिके जीतेजी स्त्री मरजाय तो वह धन पतिको मिलेगा और पतिके भरने के बाद उसके वारिसोंको। और अगर स्त्रीके जीतेजी पति मरजाय तो फिर वह स्त्री ऐसे धनकी पूरी मालिक हो जायगी और उस स्त्रीके मरनेपर उस धनके अधिकारी स्त्रीके वारिस होंगे, पति के वारिस नहीं। 36Cal.311; 36 I.A.1. दफा ७६० स्त्रीधनपर पतिका अधिकार अत्यावश्यकता यानी आपत्तिकालमें ही पति स्त्रीकी रजामन्दीके बिना भी स्त्रीधनको अपने काममें लासकता है परन्तु और किसी समय नहीं, देखो महिमाचन्द्रराय बनाम दुर्गामनी 23 W. R.C. R. 184, तुकाराम बनाम गुनाजी 8 Bom. H. C A.C. 129; यही बात विवाद चिन्तामणि और व्यवहार मयूखमें मानी गयी है तथा स्मृतिचन्द्रिका ६-२-१४ देखो-6N W. P. 279; और 8 Bom. H. C. A. C. 129; में कहा गया है कि पतिके लेनदारोंको ऐसा अधिकार नहीं है। आपत्तिकालमें पति जो स्त्रीधन लेले उसे वह पीछे अपनी दशा सुध. रनेपर अवश्य लौटादे -बनर्जीला आक मेरेज 2E3. P. 315-318; और देखो
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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