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________________ स्त्री-धन [ तेरहवां प्रकरण है। गार्डियनकी हैसियतसे उसके पिता श्रादि भलेही प्रबन्ध करें-मगर वे उसका अधिकार रोक नहीं सकते, देखो-बनर्जीका लॉ आफ मेरेज 2 ed. P. 314, 338. व्याहके बाद भी उसका ऐलाही अधिकार स्त्रीधनपर बना रहता है। दफा ७५७ स्थावर जायदादका दान हिन्दू विल्स एक्ट जिन मामलोंसे लागू हो उनके सिवाय और सब मामलों में पति जो जायदाद गैर मनकूला अपनी स्त्रीको दानके तौरपर दे मगर स्पष्ट रूपसे यह न कहेकि उस जायदादपर स्त्रीको पूरा अधिकार दिया गया है तो उस जायदादमें स्त्रीका उतनाही अधिकार होता है जितनाकि विधवाका होता है; अर्थात् वह जायदाद स्त्रीधन नहीं समझी जायगी, देखो34 Bom 349; 12 Bom. L. R 157; 34 Bom. 2873 24 Cal. 6463 27 All. 364; 19 All. 133; I All. 734; 2 Agra 230; 27 Mad. 408, 30 All. 84; 10 All. 495; 30 Bom. 431; 4 Bom. L. R. 555. । परन्तु अगर इसी तरहसे मनकूला जायदाद दीगयी हो तो यह शर्त लागू नहीं होगी; वह स्त्रीधन समझी जायगी, देखो-2 Mad. 333; 8 Cal. LR 304. और न उस जायदादसे लागू होगी जिसपर विधवाने अपने पति के कुटुम्बियोंसे समझौता करके जायदादपर पूरा अधिकार प्राप्त कर लिया हो; 31 Mad. 179. अगर अधिकार मिल गया हो तो उसमें इन्तकालका अधिकार भी समझा जायगा और विधवा उस जायदादको रेहन और बय और दान कर सकती है चाहे इन्तकालका अधिकार स्पष्ट न भी दिया गया हो, देखो-35 I. A. 17; 30 All. 84; 12 C. W. N. 231; 10 Bom. L. R. 59; 19 All. 133; 5 Cal. 684; 5 C. W. N. 300-303. हिन्दू विल्स एक्ट के अनुसार गैर मनकूला जायदाद जो अपनी स्त्री की दीगयी हो वह स्त्रीधन समझी जायगी क्योंकि उसपर स्त्रीका पूरा अधिकार हो जाता है। दफा ७५८ अदालत क्या मानेगी जब कोई हिन्दू पुरुष अपने कुटुम्बीकी किसी स्त्रीको कोई जायदाद घज़रिये वसीयत या दान पत्रके देता है तो उसमें यह ख्याल आमतौर से शामिल रहता है कि उस स्त्रीको उस जायदादके इन्तकालका अधिकार नहीं दिया गया है और अदालत हमेशा इस ख्यालको पहिले मानलेगी 19All.16; 31 Mad. 321; 11 All. 296; 11 Bom. 573; 24 Cal. 646. यह ध्यान रखना चाहिये कि हिन्दू विल्स एक्ट के ज़रियेसे गैर मनकूला जायदाद चाहे अपनी स्त्रीको भी दीजाय तो उससे यही समझा जायगा कि स्त्रीको पूराअधिकार दिया गया है, अदालत यह बात हमेशा मानेगी, परंतु यदि वसीयतनामे
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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