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________________ दफा ७२६-७२७] खर्च पानेका अधिकार आदि ८८५ arwww.wwww. नहीं होंगे, देखो-23 Bom. 291; मगर 28 Cal. 278-2885 में कहा गया कि ऐसी लड़कियां दूसरे वारिससे भी अपना पैसा खर्च ले सकती हैं। यानी उस समय बापकी जायदादसे खर्च मिलेगा न कि दूसरे वारिससे। पुत्रवधूका हक़ ससुरके सिवाय पतिके अन्य कुटुम्बिोपर कुछ नहीं है जब तक कि उन कुटुम्बियोंके हाथमें उसके पतिकी कोई जायदाद न हो या वह उनका कोपार्सनर न रहा हो, देखो--गंगाबाई बनाम सीताराम 1 All. 170-174-177; 2 B. L. A. C. 15-35,9W. R. C. R. 413-42219 Bom. H.C. 233; 5 Mad. H. C. 150; 2 Bom. 673; 2 Bom. 632, 7 Bom.127; 8 Bom. 15% B9 Bom. 279, 5 Bom. H.C. A.C. 130. जब पति या उसकी शाखा कुटुम्बसे अलग होगई हो तो पतिके रिश्ते. दारोंमें स्त्रीका भरण पोषण पानेका हन सिर्फ उन रिश्तेदारों पर होगा जो उसके पतिकी पुरुष लाइनमें ऊपरकी पीढ़ियों में हों या स्वयं उस स्त्रीकी पुरुष सन्तानमें हों। यदि मौरूसी जायदाद नीलाम होगयी हो और वह नीलाम ऐसा हो कि जिसका पावन्द स्त्रीका पति भी होता तो फिर उस स्त्रीको अपने ससुर या दूसरे कोपार्सनरोंसे भरण पोषणका खर्च पानेका अधिकार नहीं रहता-गङ्गाबाई बनाम सीताराम 1 All. 170-177. कोई वारिस या दूसरा आदमी जो जायदादपर कब्ज़ा रखता हो विधवाको भरण पोषणका खर्च देने का जिम्मेदार हो सकता है परन्तु वह उन लोगोंके प्रति जिम्मेदार नहीं होगा जिन्होंने विधवाको वैसा खर्च देनेका कन्ट्राक्ट किया हो, देखो-रामासायी ऐयन बनाम मीनाक्षी अम्मल 2 Mad. H. C. 409. दफा ७२७ विधवाका निवास स्थान यदि कोई खास बात विरुद्ध न पड़ती हो तो विधवा अपने पतिके रहनेके घरमें रहनेका हक रखती है। यदि वह मकान बेच दिया जाय तो वह विक्री विधवाके रहनेके हकपर कुछ भी असर नहीं रखेगी, और उस मकान का खरीदार विधवाको उस मकानसे निकाल नहीं सकेगा, देखो--6 Mad. 130, 1 All. 262; 3 All. 353. अगर खरीदारको खरीदते समय यह मालूम हो कि विधवा उसमें रहती है तो अवश्यही वह विधवाको उस मकानसे नहीं निकाल सकता, मगर शर्त यह है कि अगर कुटुम्बका दूसरा कोई उचित स्थान हो और उसमें विधवाका रहना उचित और योग्य हो तो विधवा उसे छोड़ सकती है 7 Bom. 282. आम तौरसे विधवाको यह हक है कि वह अपने पतिके रहने के घरमें रहे, देखो-कट अम्मल बनाम अनडप्पा चेटी 6 Mad. 130; 18 Bom. 101. यह माना गया है कि विधवाको कोई पतिके घरसे निकाल नहीं सकता, देखो-दिलसुखराम महासुखराम बनाम लल्लूभाई मोती. चन्द 7 Bom. 2829 6 Mad. 13031 All. 262, 3 All. 35336Bom.567.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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