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________________ ८८६ भरण-पोषण [बारहवां प्रकरण उस सूरतमें जबकि किसी ऐसी डिकरीके कारण जिसकी पाबन्द वह स्त्री भी हो, किसी खरीदारने उस घरको खरीद लिया हो या जवकि वह घर ऐसे क़ज़की डिकरीमें बिका हो जो खानदानकी ज़रूरतोंके वास्ते लिया गया था तो विधवाको वह घर छोड़ना पड़ेगा--27 Mad. 45; 17 Bom. 398; 4 N. W. P. 153; 2 All. J41. विधवाको, पतिके घरमें रहनेका हक खास उसके शरीरसे सम्बन्ध रखता है और यह हक़ किसी ऐसी डिकरीसे जिसकी पाबन्द विधवा न हो कुर्क नहीं हो सकता-31 Mad. 500. - बालिरा विधवा अपने पतिके रिश्तेदारों के साथ रहने के लिये पावन्द नहीं है और यदि वह व्यभिचारिणी न हो तो पतिका घर छोड़कर अपने मा बापके घर जा रहनेसे उसके भरण पोषणका हक़ मारा नहीं जाता, देखोपृथ्वीसिंह बनाम राजकुंवर ( 1873 ) 1 A. Sup. 203; 12 B. L. R. 238; 20 W. R. C. R. 2156 I.A. 114; 3 Bom. 415-421, 3 Bom. 3723 31 Mad 338; 28 Cal. 278-287; 5 C. W. N. 297 299; 29 Cal.557; 6 C. W. N. 530; 14 Bom. 490; 5 Mad. H. C. 150; 6 W. R.C. R.37;3 I. A. 154; 1Mad. 69. अगर पति खास तौरसे यह हिदायत कर गया हो कि विधवाको भरण पोषणका खर्च तभी तक दिया जाय जब तक कि वह पतिके घरमें रहे तो विधवाको पतिके घरमें ही रहना होगा। यदि किसी उचित कारणसे वहां रहना उचित न हो तो और बात है, देखो-मूलजीभाई शंकर बनाम बाई उजाम 13 Bom. 218; 15 Bom. 2367 12 B.L. R. 238; 20 W. R. C. R. 21; 6 I. A. 114; 3 Bom. 415; 14 Bom. 490. रहना उचित न होने की सूरतमें देखो--12 C. W.N. 808.जब कुटुम्बकी जायदाद इतनी छोटी हो कि जिससे विधवाके अलग रहनेपर उसके भरण पोषणका खर्च न दिया जा सकता हो तो अदालत विधवाको अलग खर्च नहीं दिलायेगी या अगर दिलाये भी तो विधवाके अलग घरका किराया या दूसरा खर्च नहीं दिलायेगी, देखोकस्तूरवाई बनाम शिवाजीराम 3 Bom. 3723 22 Bom. 52. रामचन्द्र विष्णुवापट बनाम सगुन्नाबाई 4 Bom. 261. दफा ७२८ विधवाके हक़का नष्ट होना विधवाके दूसरा विवाह कर लेनेपर पतिकी जायदादमें विधवाका भरण पोषणका हक़ नष्ट हो जाता है, देखो-हिन्दू विडोरिमेरेज एक्ट १५सन१८५६ई० की दफा २ और देखो इस किताबकी दफा ६५२. इलाहाबाद हाईकोर्टने यह मानाकि जिस क़ौममें पुनर्विवाहकी रसम जायज़ मानी जाती हो उस कौममें विधवाका भरण पोषणका खर्च पानेका हक़ पहिले पतिकी जायदादमें बना
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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