SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 965
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ' ट भरण-पोषण [बारहवां प्रकरण दफा ७२६ विधवा माता और पुत्रवधू याज्ञवल्क्य कहते हैं किपितृमातृ सुतभ्रातृ श्वश्रू श्वसुर मातुलैः हीनानस्यादिना भर्ना गर्हणीयान्यथा भवेत् । आचा० ८६ पतिके मरनेपर स्त्री, पिता, माता, पुत्र, भाई, सास, ससुर, मामा इनके साथ रहे, अकेली न रहे, क्योंकि अकेली रहनेसे निन्दा होती है। तात्पर्य यह है कि जिसके साथ वह रहेगी उसीपर उसके भरण पोषणका खर्च भी पड़ेगा, किन्तु क़ानूनमें माना गया है कि विधवा माता अपने पुत्रसे और पुत्रके मरनेके बाद उसकी जायदादसे अपने भरणपोषणका खर्च पानेका हक रखती है। मगर सौतेली माता अपने सौतेले पुत्रसे वैसा खर्च नहीं ले सकती, वह पतिकी जायदादमेंसे पायेगीइस विषयमें मनु कहते हैं कि न माता न पिता न स्त्री न पुत्रस्त्यागमर्हति त्यजन्नपतितानेता नाज्ञा दण्ड्यः शतानिषट् । मनु०८-३८६ माता, पिता, स्त्री, पुत्र, पतित होनेपर भी त्यागनेके योग्य नहीं हैं, ऐसा करनेवाला राजासे छः सौ पण दण्ड पायेगा । और देखो-9 Bom. 279; 2 Bom. 573-582. इसी तरहपर पुत्रवधू अपने ससुरसे और ससुरके मरनेके बाद उसकी जायदादसे भरण पोषणका खर्च पानेका हक रखती है। यह हक उसका सदाचार और सद्व्यवहारके अनुसार है, मगर जब ससुर मरजाय और उसकी जायदाद उसके दूसरे लड़कों या किसी वारिसके पास चली जाय तव पुत्रवधू का हक़ क़ानूनी होजायेगा और वह ससुरकी जायदादमेंसे अपना वह खर्च लेलेगी 11 All. 194; सदाचार और सद्व्यवहारके अनुसार जो जिम्मेदारी होती है उसके अनुसार ससुरका कर्तव्य है कि अपनी बहूका भरणपोषण करे मगर ससुरके मरते ही बहूका वह हक़ क़ानूनी होजाता है, यानी ससुरकी जायदादका वारिस जो कोई हो उसे बहूका खर्च देना पड़ेगा क्योंकि जायदाद जिम्मेदार होगी। ___ बम्बई में यह माना गया है कि बाप सद्व्यवहारके अनुसार अपनी विधवा लड़कियोंके भरणपोषणके खर्चका जिम्मेदार है, जिनके पास गुज़ारा करने योग्य कोई जायदाद न हो मगर वापके मरनेपर दूसरे वारिस ज़िम्मेदार
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy