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________________ दफा ७२४-७२५] खर्च पानेका अधिकार आदि H. C. 283. मगर कोई अदालत इस नियमकी पाबन्द नहीं है जैसा उसे उचित समझ पड़े रकम निश्चित करेगी-अदालत भरण पोषणका खर्च देते समय, ऐसे दावा करनेवालेके चाल चलनका भी ख्याल करेगी। दफा ७२५ विधवाके भरण पोषणका खर्च जो विधवा अपने पतिकी किसी जायदादकी वारिस न हो, तो चाहे उसका कोई पुत्र हो या न हो, उसे अधिकार है कि उस जायदादमें से अपने भरण पोषणका खर्च लेवे जिसमें उसके पतिका हन मालिक या कोपार्सनरके तौरपर था, या यदि पति वरासतसे वंचित न किया जाता तो उस जायदाद में उसका वैसा हक्न होता देखो-शिवदेयी बनाम दुर्गाप्रसाद 4N. W. P. 63; 11 Cal. 492-494; विंदा चौधराइन बनाम राधिका चौधराइन 11 Cal. 492-494; 5 Bom. 99; 8 B. L. R. 226. 3 M. I. A. 229-243; 6W. R. P. C. 43-45; गुलाब कुंवर बनाम कलक्टर आफ बनारस 4 M. I. A. "246-258; 7 W. R. P.C. 47; 22 Cal. 4107 बेचा बनाम मोथिना 23 All. 86, 2 Bom. 573; 27 Mad. 45; 11 Bom. 199; 15 Bom. 23456 Mad. H.C. 150; 7 Mad. H.O. 226; 12 Bom. H. C. 79; 9 Bom. H.C. 283, 4N.W.P.63; 7N. W. P. 261; 1 Agra 106,9 W. R.C. R. 61; 24 W. R. C. R. 474, 29 Bom. 85; यही नियम उस जायदादसे भी लागू होगा जिसका बटवारा नहीं हो सकता। । यदि राजद्रोहके कारण सरकारने पतिकी जायदाद ज़ब्त करली हो तो 'उस जायदादसे विधवा भरण पोषणका खर्च पानेका अधिकार नहीं रखती, देखो-गंगाबाई बनाम हाग 2 Ind. Jur. N. S. 124. परंतु यदि उसके पुत्रों के या पति के दूसरे वारिसों के राजद्रोह से जायदाद जब्त की गयी हो तो विधवा अपने भरणपोषणका खर्च उस जायदादमेंसे पायेगी 4 M. I. A. 246,7 W. R. P. 0. 473 1 Cal. 365-373-374. उदाहरण-(१) अज नामक एक मनुष्य जो मिताक्षरालॉके प्रभुत्व में रहता था अपनी एक विधवा और पुत्र छोड़कर मरगया । अजकी कुछ जायदाद अलहदा थी, पुत्रने अपने बापकी सब जायदाद ली। अब अगर पुत्र बाप की विधवाको भरण पोषणका खर्च न दे तो वह पतिकी जायदादसे लेसकती है। (२) अज और उसका बाप शिव दोनों मिताक्षरा स्कूलके मुश्तरका खानदानमें रहते हैं । अज मरा और उसने एक विधवा छोड़ी। अजका जो हिस्सा मौरूसी जायदादमें था वह शिवको पहुंचा, अजकी विधवा अपने ससुरसे भरण पोषण के पानेका अधिकार रखती है यदि ससुर इनकार करे तो वह पतिके हिस्सेकी जायदादमेंसे लेसकती है, देखो-27 Mad. 45: -
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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