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________________ વર भरण-पोषण [ बारहवा प्रकरण चोरीका दावा करना तथा एक रखेल औरत को गढ़ीमें लाकर रख लेना आदि अपने पति से अलाहिदा रहती है--स्पेंशर ओ० सी० जे० ने कहा कि पतिपर अपनी पत्नीकी परवरिश की जिम्मेदारी उसके विवाह संस्कारके विधानसे ही उत्पन्न हुई बतायी गयी है । हिन्दूनान्दान के सम्बन्धमें यह क़ानूनी जिम्मेदारी हिन्दू लॉ द्वारा आयद होती है । जबकि शादी करने वाले फ़रीकों में कोई मुआहिदा नहीं होता, जैसाकि हिन्दुओंमें है, जब परवरिशकी नालिश आहिदा विनापर नहीं होती बल्कि उस दीवानी के सम्बन्धसे होती है जिस का वर्णन ख़ास तौरपर लिमिटेशन एक्टकी १२८ वे आर्टिकिलमें किया गया है । परवरिशका अधिकार पति की मृत्युके कारण समाप्त नहीं होता । नीचे की अदालतने निर्णय किया कि मुद्दईको परवरिशका अधिकार नहीं है और उसको अलाहिदा रहना न्यायपूर्ण नहीं है । मेरी रायमें मुद्दईका अलाहिदा रहना उचित है और उसे अलाहिदा परवरिशके दावा करनेका अधिकार है और यह अधिकार उन व्यक्तियोंके खिलाफ भी स्थापित होता हैं, जो उस जायदाद के मालिक हों, चाहे वे उसे वरासतसे प्राप्त करें या जीवित रहनेसे: श्रीनिवास आयङ्गरने कहाकि वह परिस्थितियां जो कि एक स्त्रीको अपने पतिको छोड़कर पिता के पास रहने के लिये विवश करती हैं इतनी स्पष्ट होती हैं कि वे इस अवांछित कार्य के कारणको विदित करती हैं । स्त्रीके प्रति पतिका कैसा वर्ताव, निर्दयताका वर्ताव माना जा सकता है यह खान्दानके परिस्थितिके लिहाज़ से भिन्न भिन्न है । स्त्रीके पालन करने की पतिकी जिम्मेदारी केवल पति तकही निर्भर नहीं होती, बक्लि उसके वारिस, उसकी मृत्यु के पश्चात् उसकी जायदादसे, उसके पालन करनेके जिम्मेदार होते हैं- श्री राजा बोम्मादेवर राजा लक्ष्मी बनाम नागन्ना नायडू 21 L. W. 461; 87. C. 571; A. I. R. 1925 Mad. 757. दफा ७२४ पत्नीके भरण पोषण के ख़र्च की रकम वह स्त्री जिसका पति जिन्दा हो उसके भरण पोषणके खर्चकी तादाद उसके पति की हैसियत और उसकी जायदाद और उसके ज़िम्मे के दूसरे खच का ख़्याल करके नियत की जायेगी। पतिने वसीयतमें या दूसरी तरह अगर यह बता दिया हो कि उसकी स्त्रीको भरण पोषणके लिये खर्चकी अमुक तादाद दी जाय तो अदालत पतिकी इस रायका ख़्याल करेगी परन्तु केवल पतिकी राय परसे इस बारेमें फैसला नहीं हो सकता, देखो - 12 C. W. N. 808. याज्ञवल्क्यने स्त्रीके भरण पोषणके खर्च के लिये पति की जायदादकी एक तिहाई जायदाद मुकरिकी है देखो याज्ञ० श्लो० ७६ और बम्बई हाईकोर्ट ने इस रायको माना है, देखो - रामाबाई बनाम त्र्यंबक गनेश देसाई 9 Bom.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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