SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 927
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्त्रियोंके अधिकार [ ग्यारहवां प्रकरण लार्ड जिफर्ड ने काशीनाथ वैसाक बनाम हरसुन्दरी दासीके मामले में माना है कि अपने मृतपतिकी जायदाद मनकूला और गैर मनकूला दोनों पर विधवाका अवाध्य अधिकार होता है-ऐसी आमदनी किसी दूसरे आदमीके पास जमा की हो या उस बचतसे कोई दूसरी जायदाद खरीदी हो तो ऐसी रक्कम या जायदादपर विधवा और दूसरी स्त्रीका पूर्ण अधिकार रहता है यांनी वह अपने किसी भी काममें उस रक्कम या जायदादको खर्च कर सकती है और उसे रेहन या चय भी कर सकती है और जिसे वह देना चाहे दे सकती है, देखो -सुरजी मनी दासी बनाम दीनबन्धु मलिक 9 M. I. A. 1233 पन्नालाल बनाम बामासुन्दरी दासी 6 B. L. R. 732; सौदामिनीदासी बनाम एडमिनिस्ट्रेर जनरल आफ बंगाल 20 I. A. 12; 20 Cal. 433; ईश्वरीदत्त कुंवर बनाम हंसवती 10 I.A. 150 - 158; 10 Cal. 324; 13 C. L. R. 418-424; सामीनाथ पिलाई बनाम मानिक कसामी पिलाई 22 Mad. 3363 4 B. L. R. O. C. 1, 40, 42; 12 W. R. O. C. J. 13, 28, 29. ६३६ अगर जायदादकी आमदनी किसी काममें लगा दी गयी हो और उस से जो लाभ होगा वह, और लगी हुई आमदनी, सब उस वक्त जायदाद का इजाफा माना जायगा जब यह न साबित हो सकता हो कि विधवा या दूसरी स्त्रीने वह काम अपने निजके लाभ के लिये किया था । इजाफा करार पाने पर रिवर्ज़नर वारिस उसका मालिक होगा, देखो -- 14I. A. 63, 14 Cal. 387, 14 B. L. R. 159; 25 Mad. 351-360. अपने पति की जायदादपर क़र्ज़ लेकर उस रुपयासे जो जायदाद विधवा खरीदे उसका हक़दार पतिका वारिस होगा मगर शर्त यह है कि वह ऐसा क़र्ज़ अदा करने का भी ज़िम्मेदार होगा - यदीसिंह बनाम फूलचन्द 5 N. W. P. 197. यदि विधवा जायदादकी आमदनी इस नीयतसे किसी काममें लगा दे कि वह काम जायदादका भाग समझा जाय तो फिर वह उन्हीं हालतों में उसे व्यवहार में ला सकती है जिन हालतोंमें कि वह असली जायदाद को ला सकती है 10 I. A. 150; 10 Cal. 324. अगर जायदाद की ग्रामदनी विधवाने इस ढंगसे किसी काममें लगाई हो जिससे यह मालूम होताहो कि उसकी यह नीयत नहीं थी कि वह लगाई हुयी रकम उसके पति की जायदादका भाग समझी जाय बल्कि विधवाकी यह नीयतहो कि वह उस जायदादको अपने काम में लावेगी ऐसी सूरतमें विधवा उस रक़म को अपनी ज़िन्दगीभर तकही अपने काममें लासकती है अगर वह अपनी ज़िन्दगी में उसे काममें न लावे (किसीको न दे या वसीयत न करे) तो वह विधवा के बाद विधवाके वारिसको नहीं मिलेगी बल्कि उसके पतिकी जायदाद में इजाफा समझी जायगी और पति के वारिसको मिलेगी, देखो -
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy