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________________ दफा ५२६ ] अलहदगी और बटवारा वस्तुतः उन बिना और पुत्रोंके खान्दानमें जो मिताक्षरालों के आधीन हैं बहुत अधिक माना जाता है-गंगाश बनाम नारायन 86 I. C. 505; A. I. R. 1925 Nag. 284. किसी संयुक्त परिवारका कोई एक सदस्य परिवार के अन्य सदस्योंसे अलग हो सकता है और संयुक्त परिवारकी जायदादसे अपने हिस्सेको अलाहिदा कर सकता है । शेष सदस्य बिना किसी आपसी समझौते के संयुक्त परिवार के सदस्य बने रह सकते हैं और बचे हुए संयुक्त हिस्सेका उपयोगकर सकते हैं । यह प्रश्न कि आया उस संयुक्त परिवारके शेष सदस्य संयुक्त परिवारके सदस्य हैं या नहीं, शहादत द्वारा फैसल किया जा सकता है - बन्ना संगप्पा बनाम परवनिंग बासप्पा A. I. R. 1927 Bombay 8. ६३७ 35 Bom. 75; 12 Bom. L. R. 936 में माना गया है कि जिस दस्तावेज़ के अनुसार जायदादके मालिकान, जायदादको बाटै उसे बटवारेका दस्तावेज़ कहते हैं । मगर बिना कोई दस्तावेज़ लिखे हुए भी बटवारा हो सकता है, देखो -रीवनप्रसाद बनाम राधाबीबी 4 MIA 137; 7W.R P. C. 35-37; 18 Cal. 302; 34 Cal. 72. हिस्सेकी बिक्री - मुश्तरका खान्दानकी जायदादमें जब कोई हिस्सेदार अपना हक्क दूसरे कोपार्सनरके हाथ बेच देता है तो इससे बेचनेवालेका अलगाव माना जाता है, देखो - बालकृष्ण त्र्यंबक तंडुलकर बनाम सावित्रीबाई 3 Bom. 54; 6 Mad. 71. जब कोई हिन्दू, जो मिताक्षराला के अधीन हो और उसके पुत्र आपस में एक दूसरे भाई से अलाहिदा रहते हों, तो यह नहीं समझा जा सकता कि वह अपने पुत्रोंसे अलाहिदा होगया है और वह तथा उसकी सन्तान मुश्तरका खान्दान नहीं है जब तक कि यह न साबित हो कि उन्होंने एक मुश्तरका खान्दान होने का इक़रार कर लिया है- जैनारायण बनाम प्रयागनारायन 21 L. W. 162; 2 O. W. N. 157; 85 I. C. 2; L. R. 6 P. C. 73; 27 Bom. L. R. 713; (1925) M. W. N.13; 29 C. W. N. 775; 3 Pat L. R. 255; A. I. R 1925 P. C. 11; 48 M. L. J. 236. (P. C.) मुश्तरका खान्दानके सदस्योंकी चिरकालको अलाहिदगीसे उनके क़ानूनी बटवारेकी कल्पना होती है-देवराव बनाम विट्ठल 87 1. C. 1000 A. I. R. 1925 Nag. 363. दफा ५२९ अलहदगीका सुबूत अलहदगीके सुबूत निम्नलिखित हो सकते हैं ( १ ) कोई ऐसा काम या ऐसी बात जिससे अलहदगीका इरादा ज़ाहिर होता हो, देखो - जीवाबाई बनाम कृष्णाजी 6 Bom. L. R 351.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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