SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 717
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बटवारा [आठवां प्रकरण नापजोख कर बटवारेकी ज़रूरत नहीं है- चाहे किसी जायदादमें नाप जोख कर बटवारा न हुआ हो तो भी उसके कोपार्सनर अलग हो सकते हैं, देखो--पार्वती बनाम नौनिहालसिंह ( 1909) 36 I.A. 71; 31 All. 412; 13 C. W. N. 983; 11 Bom. L. R. 878; 30 I.A. 139; 30 Cal. 738; 7C. W. N. 578; 5 Bom. L. R. 461; 11 M.I. A. 75; 8 W. R. P. C. 1; 13M. I. A. 497; 6 Bom. L. R. 2023 14 W. R. P. C. 33; 1 I A. 55. 13 B. L. R. 235:31W. R C. R. 214; 6 W. R.C. R. 139; 7 W. R. C. R. 488; 8 W. R.C. R.11651 N. W. P.75% 83 N. W. P. 108; 25 W. R. C. R. 97. जेस जायदादका बटवारा नहीं हो सकता उसके सम्बन्धमें कोपार्सनर भी अलहदा नहीं हो सकते । मुकम्मिल अलगाव हो जानेपर मिताक्षराला के अनुसार सरवाइवरशिप (देखो दफा ५५८) का हक चला जाता है और सब कोपार्सनर उस जायदाद के ज्वाइन्ट टेनेन्टस (Joint tenants दफा ५५८) नहीं रहते, बक्लि टेनेन्टस इन कामन् ( Tenants in Common देखो दफा ५५८ ) हो जाते हैं। ऐसी कोई सूरत हो सकती है कि खान्दानके सब लोग अलगहो जायें, मगर साथही आपसमें समझौता करके सुभीतेके लिये पूरी जायदादको या उसके कुछ हिस्सेको, सब कोपार्सनरोंके हिस्से निश्चित करके मुश्तरका बनी रहने दें, देखो-पटनीमल बनाम मनोहरलाल b Bom. Sel. R. 340; ऐसी सूरतमें भी सब कोपार्सनर टेनेन्टस इन कामन् (Tenants in Common दफा ५५८) होंगे और मुश्तरका खान्दानके साथ जो बाते लगी होती हैं टूट जावेगी, देखो-3 Mad. H. C. 289; 13 M. I. A. 113; 12 W. R. P. C. 40; 26 I. A. 167. अगर कोई जायज़ इकरारनामा नहो तो वह जायदाद पीछसे नाप जोखकर बांटी जा सकती है और बटापाने के लिये कोपार्सनर ज़ोर दे सकते हैं--6 Bom. L. R. 35; 25 Mad. 585. शहादत--मुश्तरका खान्दानकी जायदाद रहनेके लिये यह आवश्यक नहीं है कि खान्दानके सब आदमी एक साथही रहें। वे अलाहिदा रह सकते श्रीर अलाहिदा भोजन कर सकते हैं, फिरभी उनकी जायदाद मुश्तरका रह सकती है। प्रत्येक हिन्दू खान्दानके लिये यह मान लियागया है कि वह भोजन पूजन और रियासतमें मुश्तरका होता है और उसकी जायदाद मुश्तरका और गैर बटी हुई मानी जाती है। किसी दस्तावेज़में किसी एकही हिस्सेदार के नामके होनेसे यह साबित नहीं होता, कि मामला अलाहिदाका है या यह कि उस के और बाकी खान्दानके अन्दर बटवाराहो गया है। एकही हिस्सेदारके नामसे जायदाद होनेमें इस बातके माननेके साथही साथ कि खान्दान मुश्त: रका है यह भी माना जाता है कि हिन्दू खान्दानका श्राम रवाज है और यह
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy