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________________ ५३८ मुश्तरका खान्दान [छठवां प्रकरण अधिकार है कि वह लिफे उसी जायदादके बटवारा करा देनेका दावा कर सकता है जिसमें खरीदारका खरीदा हुआ हिस्सा शामिल है न कि सब मुश्तरका जायदादका; देखो-सुब्रह्मण्य बनाम पद्मनाभ 19 Mad. 267. रामचरन बनाम अजोध्या 29 Ail. 50. (३) यह बात सब जगह मानी गयी है कि खरीदार बटवारा करापाने का दावा उस आदमीकी जिन्दगीमें और उसके मरनेके बाद भी कर सकता है जिसका हिस्सा उसने खरीद किया था, एय्यागिरि बनाम एय्यागिरि 25 Mad. 690 इसी तरहपर जब खरीदार मर जाय तो उसके वारिस भी बटवारा करा पानेका दावा कर सकते हैं। (४) अगर किसी आदमीने मुश्तरका खान्दानकी जायदादका कोई हिस्सा किसी कोपार्सनरसे खरीद कर लिया हो, और खरीदनेकी तारीखके पश्चात् और खरीदारके बटवाराका मुकद्दमा अदालतमें दाखिल करनेसे पहिले कोई दूसरा कोपार्सनर उस खान्दानमें पैदा हो जावे, या मर जावे तो उस खरीदारको कितनी जायदाद मिलेगी? यह बात बड़े झगड़ेकी है क्योंकि हिन्दुस्थानके हाईकोर्टीका इस प्रश्नपर मतभेद है । मतभेद नीचे देखो-- बम्बई हाईकोर्ट-बम्बई हाईकोर्टके मतके अनुसार यह तय हुआ है कि खरीदने की तारीख के बाद जब कोई दूसरा कोपार्सनर मुश्तरका खान्दानमें पैदा हो जावे तो खरीदार को खरीदे हुये हिस्से से कमती हिस्सा मिलेगा यानी बटवाराका मुकदमा दायर करने के समय उस आदमीका जितना हिस्सा होगा उतना खरीदारको मिलेगा-जितना हिस्सा खरीदा था उतना नहीं मिलेगा। और अगर खरीद करने की तारीखके बाद कोई कोपार्सनर मर जावे तो खरीदारको ज्यादा हिस्सा नहीं मिलेगा बल्कि उसे उतनाही हिस्सा मिलेगा जितना कि उसने नरीद किया था देखो-गुरलिंगप्पा बनाम ननदाया 21 Bom 797 ऐसा मानो कि-मुश्तरका जायदादके बेंचनेके समय बाप और उसके दो लड़के थे, और बटवाराकी नालिश करनेके सयय ४ लड़के और पैदा होगये थे अब बम्बई हाईकोर्टके अनुसार खरीदारको हिस्सा नहीं मिलेगा बल्कि हिस्सा मिलेगा और अगर उपरोक्त तीनों में से कोई मर जाता तो खरीदारको ज्यादा हिस्सा नहीं मिलता बल्कि हिस्सा ही मिलता। मदरास हाईकोर्ट-मदरास हाईकोर्टके फुल बेंचके फैसलेके अनुसार खरीदारको हमेशा उतनाही हिस्सा मिलेगा जितना उसने खरीद किया था यानी जिस कोपार्सनरसे उसने जितना हिस्सा खरीद किया था उतनाही हमेशा मिलेगा चाहे खरीदने के पश्चात् कोई दुसरा कोपार्सनर पैदा हो जाये अथवा मर जावे, देखो-चिन्नूपिलाई बनाम कालीमुट्ठ 35 Mad. 47. __उदाहरण -श्र, क, ख, ग, घ, यह पांच हिन्दू भाई हैं और मुश्तरका खान्दानमें रहते हैं। श्र, ने अपना हक़ रामके हाथ बेच दिया उसके बाद अ,
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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