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________________ दफा ४५० ] मुनाफे का इन्तकाल लिये इन्तक़ालकी हुई जायदाद के पृथक किये जाने तथा उसके स्थानमें अन्य जायदाद के दिये जानेकी नालिश-कहां तक चलने योग्य है--सोरी मूथी बनाम पी० पचिया पिल्ले 91 1. C. 868; A. I. R. 1926 Mad. 241. हिस्सेदार केवल बटवारेमें ही पृ और निश्चित भाग प्राप्त कर सकते हैं नीलाममें हिस्सेदारका अधिकार खरीद करने वाला कुछ परिस्थितियों में ही खरीदका यथार्थ अधिकार प्राप्त करता है--सत्यनारायन बनाम बिहारीलाल 52 I. A. 22 (1925) M. W. N. 1: 23 A. L. J. 85; 6 L. R. P. C. 1; 21 L. W. 375; 27 Bom. L. R. 135; 84 I. C. 883; 29 C. W.N. 797, A. I. R. 1925 P. C. 1847. ५३७ मुश्तरका जायदाद के खरीदारके लिये सिर्फ एकही तरीक़ा है कि वह मुश्तरका जायदाद का हिस्सा खरीद करनेके बाद अदालतमें बटवारा करापाने का दावा सब कोपार्सनरोंके मुक़ाबिलेसें दायर करे और बटवारा होने पर अपने खरीदे हुये हिस्से के अनुसार जायदादपर दखल करें; देखो -- पाण्डुरंग बनाम भास्कर 11 Bom H. C. 72; 8 Mad. H. C. 6. (२) बम्बई हाईकोर्ट के अनुसार माना गया है कि जब किसी आदमी नेमुखतलिफ़ मुश्तरका जायदादमें से किसी जायदादका कोई हिस्सा खरीद किया हो तो खरीदारको सिर्फ उसी जायदाद के बटवारा करापानेका दावा नहीं करना होगा जिसमें उसका खरीदा हुआ हिस्सा शामिल है बल्कि कुल जितनी जायदाद मुश्तरका खान्दानकी है सबका बटवारा करापानेकी नालिश कराना होगा और अगर सब कोपार्सनर इस बातपर राजी हों तो खरीदार . सिर्फ उतनीही जायदादका बटवारा करायेगाः देखो - ऊदाराम बनाम रानू 11 Bom. H. C. 76. मुरारराव बनाम सीताराम 23 Bom. 184 शिवमुर टापा बनाम वीरप्पा 24 Bom. 128. इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुसार यह माना गया है कि जब किसी आदमी ने मुखतलिफ़ मुश्तरका जायदाद में से किसी अलहदा जायदादका कोई हिस्सा खरीद किया हो तो खरीदार बिना कोपार्सनरोंकी मंजूरी के सिर्फ उसी खरीदी हुई जायदाद के बटवारा करा पाने का दावा कर सकता है; देखो - राममोहन बनाम मूलचन्द 28 All 390. मदरास और कलकत्ता हाईकोर्ट में यह माना गया है कि इस क़िस्मके खरीदारको सब मुश्तरका जायदादका बटवारा करना योग्य होगा; देखोबेकटराम बनाम मीरा 13 Mad. 27. पलानी बनाम मासा 20 Mad. 243. कुंवर हसमत बनाम सुन्दरदास 11 Cal. 396-399. यह बात सब हाईकोर्टो मानी गयी है कि अगर कोई कोपार्सनर यह चाहे कि खरीदारके खरीदे हुये हिस्से का बटवारा कराकर उसे अलग करदें तो हर एक को पार्टनरका 68
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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