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________________ दफा ४५० ] मुनाफेका इन्तकाल ५३६ के एक लड़का पैदा होगया, लड़का पैदा होने के बाद रामने घटवारा करापाने का दावा किया अब देखो मदरास हाईकोर्ट के फैसलेके अनुसार रामको हिस्सा मिलेगा और बम्बई हाईकोर्टके फैसलेके अनुसार मिलेगा। श्र,क, ख, यह तीनों मुश्तरका खान्दानके मेम्बर हैं अ, ने अपना हक्क रामके हाथ बेच दिया उसके बाद क, मर गया, पीछे रामने श्र, धौर ख, पर बटवारा करा पानेका दावा किया तो अब रामको आधा हिस्सा नहीं मिलेगा बक्लि मिलेगा। क्योंकि किसी हिस्सेदारका हक खरीद लेनेसे राम कोपार्सनर नहीं हो जायगा । क, का हिस्सा उसके मरनेपर अ, और ख, को जायगा जो उसके कोपार्सनर हैं सबब यह है कि सरवाइवरशिप इनमें लागू था अपना हक्क बेंच देनेसे कोपार्सनरपनेका हक़ नहीं चला जाता इसी तरह आगर क, और ख, दोनों मर जाते तो उन दोनोंका हक़ सरवाइवरशिपके अनुसार अकेले अ, को मिल जाता-रामको नहीं। नोट-मदरास हाई कोर्टमें भी कोपार्सनरके मरनेसे इसी तरहका फैनला होगा जैसा ऊपर उदाहरण के आखीरमें बताया गया है । जो नियम जायदादके मयनामासे लागू किये गये है वही नियम रेड्ननामासे भी लागू होंगे। अगर किसी खरीदारने मुश्तरका खान्दानके किसी मेम्बरसे उसका हिस्सा खरीद किया हो, और किसी तरहसे खरीदारने उस मुश्तरका जायदादपर अपना कब्ज़ा व दखल कर लिया हो चाहे उस कब्जा व दखलमें दूसरे कोपार्सनरोंका हिस्सा भी शामिल हो जिसे उसने नहीं खरीदा था, तो ऐसी सूरतमें कोई भी कोपार्सनर अदालत फौजदारीके द्वारा उस खरीदारको जायदादसे बेदखल नहीं कर सकेगा और न अदालत दीवानीमें उसके बेदखल किये जानेका दावा कर सकेगा। अब बड़ी मुश्किल यह समझमें आती है कि ऐसी सूरतमें दूसरे हिस्सेदारोंको क्या करना चाहिये ? इसका उपाय सिर्फ एकही है कि दूसरे कोपार्सनरोंको अपनी तरफसे बटवारा करा पानेका दावा अदालतमें करना चाहिये यह दावा सब कोपासेनर मिलकर अथवा एक भी कर सकता है । और कोपार्सनर इस क्रिस्मका दावा भी कर सकते हैं कि "करार दिया जाय कि खरीदारके साथ जायदादके उपभोग करनेका हक दूसरे कोपार्सनरोंको है" देखो--महाबलाय बनाम टिमाया 12 Bom. H. C. 138. घाबाजी बनाम वासुदेव 1 Bom. 95; 2 Bom. 676; b Bom. 498. जो जायदाद खरीद की गयी हो अगर उसपर किसी कर्जका बोझा खरीद करनेसे पहिलेका है तो वह बोझा खरीद करनेपर भी बना रहेगा यानी उस कर्जेका ज़िम्मेदार खरीदार होगा, देखो-11 .Bom. H. C. 76 नरायन बनाम नाथाजी (1904 ) 28 Bom 201. साझेदारीसे खरीद-मुनाफ़ा मय सूदकी जिम्मेदारी - गङ्गा विशन जीवन राव बनाम बल्लभदास 87 I. C. 703; A. I. R 1924 Bom 433..
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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