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________________ मुश्तरका खान्दान [छटवां प्रकरण अनन्तराम बनाम चुन्नूलाल 25 All. 378. गोपालदास बनाम बद्रीनाथ 27 All. 361. दुर्गाप्रसाद बनाम दामोदरदास (1909) 32 All. 189. जब कोई कोपार्सनर खानदानकी तरफसे अलहदा दावा करे तो कंट्राक्ट ऐक्ट सन् १८७२ ई०की दफा २३० के अनुसार ऐसा माना जायगा कि वह सबकी तरफसे एजेन्ट था। परन्तु मदरास हाईकोर्ट की राय है कि सब कोपासनर मनहमें में शरीक किये जायेंगे इसका कारण यह है कि सभी कोपासनर उस कंट्राक्टसे लाभ उठाते हैं। देखो-सीशन बनाम वीरा 32 Mad. 284. किशुनप्रसाद बनाम हरनरायनसिंह 33 All. 272; 38 I. A. 45. नाबालिग कोपार्सनर-मुश्तरका खान्दानके कारोबार सम्बन्धी अगर कोई मुक़द्दमा हो तो अदालतमें उसे दायर करने में नाबालिग कोपार्सनरोंका शरीक होना ज़रूरी नहीं माना गया; देखो-लछिमन बनाम शिवा 26 Cal. 349. अनन्तराम बनाम चन्मूलाल 25 All. 378. लालजी बनाम केशवजी (1913) 37 Bom. 340. मियाद और साझीदार द्वारा इन्तकाल-जब किसीमुश्तरका खान्दानके इन्तकालके विरुद्ध कोई नालिश की जाती है तब मियाद, उस वक्त से जबकि कार्यवाही आरम्भ हुई है ली जाती है। किसी खान्दानी साझीदारके बाद के जन्मके कारण, मियादके शुमारके लिये फिरसे कार्यवाही आरम्भ नहीं की जा सकती। कानूनकी यह स्पष्ट आज्ञा है कि बहुमतकी स्वीकृतिके पश्चात यानी कार्यवाहीके आरम्भसे तीन वर्षकी मियाद नालिश करने वालेको मिल सकती है। उस मनुष्यकी गिनती, जो उस समय अस्तित्वमें न था, उस कार्यवाहीमें नहीं आती अतएव तीन वर्षकी वृद्धिका अधिकारी नहीं होता, रनदीपसिंह बनाम परमेश्वरप्रसाद 47 Ali. 166; 62 I. A. 693 23 A. L.J. 176, 26 Punj. L. R. 113; 27 Bom. L. R. 175;21 L. W. 236; L. R. 6 P. C. 47; (1925) M. W. N. 262, 12 0. L. J. 74; 20. W. N.1:270. C.34386 1. C. 249; 29 C. W.N. 666: A. I. R. 1925 P. C. 33; 48 M. L. J. 29 ( P. C.) दफा ४३५ मेनेजरका अदालतमें दावा करना (१) हिन्दू मुश्तरका खान्दानका मेनेजर मुश्तरका खान्दानकी तरफ से बिना दूसरे कोपार्सनरोंके शरीक किये अदालतमें दावा दायर कर सकता है या नहीं इस बातपर बड़ा मतभेद है दोनों तरहकी नजीरें देखिये-(नीचे के केसोंमें माना गया है कि मेनेजरको अधिकार नहीं है-काटुशेली बनाम वेलोटिल 3 Mad. 234. हरीगोपाल बनाम गोकुलदास 12 Bom. 158; 23 Mnd. 190: 21 Bom. 154 ) नीचेके केसोंमें माना गया कि उसे अधिकार था--अरुणच्छला बनाम विथियालिंग 6 Mad. 27; 17 Bom. 122.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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