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________________ अलहदा जायदाद दफा ४३२-४३४ ] तमादी रक़ममें जायदादका इन्तक़ाल नाजायज़ है - हिन्दू संयुक्त परिवारका मैनेजर, किसी ऐसे क़र्ज़ की दाईके लिये, जो तमादी होगया हो, पारिवारिक जायदादका इन्तक़ाल नहीं कर सकता । हिन्दू पिताका मामला इससे भिन्न है । झब्बूराम बनाम ठाकुर बहोरनसिंह 91 1. C. 1023; A. I. R. 1926 All. 243. ५१३ असली मामलेका फिरसे नया करना, प्रिवी कौन्सिलके अनुसार बताया हुआ, पूर्वजोंके क़र्जका इन्तक़ाल नहीं होता। बाबूराम बनाम महादेव A. I. R. 1927 All. 127. मेनेजर द्वारा क़र्ज़ देनेसे महाजनको सूदकी दर और मूलधनकी श्रावइयकता नान्दानके दूसरे सदस्योंके निलाफ़ साबित करनी होगी, परमेश्वर पांडे बनाम राज किशोरप्रसाद A. I. R. 1925 Patna 59. दफा ४३४ अनेक कोपार्सनरोंमें किसी एकका अलहदा दावा करना हिन्दू मुश्तरका जायदादमें सभी कोपार्सनरोंका लाभ बराबर माना गया है इसलिये मुश्तरका खान्दानकी जायदाद और मुश्तरका खान्दान के कारो बारके सम्बन्धमें अदालत में कोई दावा दायर करनेमें सभी कोपार्सनरोंका मुद्दई होना ज़रूरी है । सिर्फ एक कोपार्सनर खान्दानकी तरफ़से अकेला दावा नहीं कर सकता और दूसरे कोपार्सनर अगर उस दावामें शरीक होनेसे इनकार करें तो उनको उस मुक़द्दमें में मुद्दा अलेह बनाना चाहिये जैसे कोई एक कोपार्सनर अकेले किसीके बेदखल करनेका दावा नहीं करसकता है; देखोबालकृष्ण बनाम मोरुकृष्ण 21 Bom. 154. अथवा मुश्तरका खान्दानकी किसी जायदादपर क़ब्ज़ा पानेका दावा नहीं कर सकता है, देखो बालकृष्ण बनाम म्युनिसिपलटी आफ महद 10 Bom 32. या मुश्तरका खान्दानका क़र्ज़ा वसूल करनेका दावा नहीं कर सकता है, देखो - कालिदास बनाम नाथू 7 Bom. 217 या मुश्तरका खान्दानके किसी कंट्राक्टके तोड़ दिये जानेका और उसके हर्जेका दावा नहीं कर सकता है; देखो-अलागप्पा बनाम बेलियन 8 Mad. 33. लेकिन जब किसी कोपार्सनर ने अपने नामसे मुश्तरका खान्दानकी तरफ से कोई कंट्राक्ट किया हो तो कलकत्ता, बम्बई, और इलाहाबाद के हाईकोट के फैसलों के अनुसार वह दूसरे कोपार्सनरोंको शरीक किये बिना अकेले दावा कर सकता है मगर शर्त यह है कि कंट्राक्ट करते समय उसने यह न प्रकट किया हो कि मैं मुश्तरका खान्दानकी तरफ़से काम करता हूं। अगर प्रकट कर दिया हो तो वह अलहदा दावा नहीं कर सकता, देखो - वेशी बनाम सोदिस्तलाल 7 Cal. 739 जागाभाई बनाम रुस्तमजी 9 Bom. 311. 65
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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