SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 593
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५१२ मुश्तरका खान्दान [छटवां प्रकरण जायदादके रेहन रखने या बेंचनेका अधिकार दिया हो तो खरीदार या रेहन रखने वाले को किसी जायज़ ज़रूरतकी जांच करने की कोई ज़रूरत नहीं है वह इन्तकाल जायज़ होगा, देखो-गङ्गाप्रसाद बनाम महारानी बीबी 11 Cal.379 383,384;12 I.A. 47, 10. गार्जियन् एन्ड वाई ऐक्टके अनुसार नाबालिग अलहदा जायदादका मेनेजर मुश्तरका खानदानकी जायदादमें जिसमें उस नाबालिगका भी हिस्सा हो वली नहीं नियत हो सकता, क्योंकि मिताक्षरालॉ के अनुसार वह मुश्तरका जायदाद किसी एक आदमीकी नहीं है; देखो-25Aii. 407; 30 1 A. 165. दफा ४३२ पंचायत करनेके बारेमें मेनेजरका अधिकार ___मुश्तरका खान्दानकी जायदाद सम्बन्धी झगड़ोंमें मेनेजरको पंचायत करनेका अधिकार है। देखो-जगन्नाथ बनाम मन्नूलाल 16 All. 231. इलाहाबादके एक मुक़द्दमें में यह माना गया है कि बापने अपने कोपार्सनरोसे जायदादके बटवाराके सम्बन्धमें समझौता (Compromise) किया वह समझौता उस बापके लड़कोंको मानना पड़ेगा; देखो-पीतमसिंह बनाम उजागर सिंह 1 All. 651. दफा ४३३ मेनेजर द्वारा क़र्जे का स्वीकार किया जाना __ हिन्दू मुश्तरका खान्दानके ऊपर अगर कोई कर्जा हो और उस क़र्जे में तमादी न हुई हो तो मेनेजरको अधिकार है कि वह उस क़र्जेको मंजूर करे या उसका सूद अदा करे ताकि उसकी क़ानूनी मियाद और बढ़ जाय मगर मेनेजरको यह अधिकार कभी नहीं है कि जो कर्जा तमादी होगया हो उसे पीछे मंजूर करले या उसका सूद देदे ताकि उसकी नालिश हो सके। देखो-भास्कर बनाम बीजालाल 17 Bom. 512. दिनकर बनाम अप्पाजी 20 Bom. 155. चिन्नाया बनाम गुरूनाथम् 5 Mad. 169. दलीपसिंह बनाम कुंदनलाल (1913) 35_All. 207. कर्ता-कर्ताको क़र्ज़ स्वीकार करने का वही अधिकार है जो उसे कर्ज लेनेका है और इस बातकी आवश्यकता नहीं है कि यह प्रकाशित किया जाय कि क़र्ज़ बहैसियत कर्ताके स्वीकार किया गया है, हरीमोहन बनाम सुरेन्द्रनाथ 41 C. L. J. 535; 88 I. C. 102:1; A. I. R. 1925 Cal. 1153. मुश्तरका खानदान -किसी प्रामिज़री नोट पर केवल कर्ताके दस्तखत होने के कारण खान्दानके दूसरे सदस्योंपर, जिनके दस्तखत उस नोट पर नहीं हैं, पाबन्दी नहीं होती--प्रामिज़री नोट मैनेजर द्वारा तामीली--हरीमोहन बनाम सुरेन्द्रनाथ 41 C. L. J. 535; 88 I. C. 1025; A. I. R. 1925 Cal. 1153.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy