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________________ दफा ४२५ ] अलहदा जायदाद प्रपौत्रको अधिकार है कि पितामह द्वारा किये हुए इन्तक़ालका विरोध करे फिर चाहे वह इन्तक़ाल क़ानूनी आवश्यकता पर ही क्यों न किया गया हो और वह इन्तक़ालके समय पर पैदा भी न हुआ हो । A. I. R. 1927 All. 127. ४८६ बापके अनुचित व्यवहारसे नाबालिएका बटवारा-जब किसी नाबा लिराका पिता, नाबालिग़के प्रति विरोधात्मक कार्य सिलसिलेवार करता हो, तो नाबालिग के वलीको अधिकार है कि वह नाबालिग़की ओरसे बटवारेकी कार्यवाही करे, और नाबालिग़की ओरसे यह मांग पेश करे कि उसका हिस्सा बांट करके, उसके लिये सुरक्षित रख दिया जावे। जब इस प्रकारके बटवारे की नालिशकी जाती है और पिता तथा नाबालिग पुत्रके हिस्से अलग अलग कर दिये जाते हैं, तो पिताके सम्बन्धमें यह ख्याल किया जाता है कि उसके अधिकार अलाहिदा हैं, जगदीशप्रसाद बनाम श्रीधर A. I. R. 1927 All. 60. विभक्त हिस्सेदारों में से किसी मुन्तक़िल अलैहपर इस बातकी पाबन्दी नहीं है कि वह अपने खरीदारके हिस्से के बटवारेके लिये कहे । केवल उन हिस्सेदारोंमेंसे ही कोई एक मुन्तक़िल अलेह उसके करनेके लिये बाध्य है । बैंकय्या बनाम गुरय्या. 23 L. W. 604. किसी समय किसी नये कामका करना - अन्य सदस्य हानिके ज़िम्मेदार नहीं हैं - किन्तु कोई नया कार्य, यदि वह पारिवारिक कार्यके अनुसार हो तो, नया कार्य नहीं कहलाता - नारायन शाह बनाम शङ्कर शाह A. I. R. 1927 Mad. 53. नोट:- जब मुश्तरका हिन्दू खानदान के लोगोंमें, मुश्तरका जायदाद के विषयमें कोई झगड़ा हो तो अदालतको चाहिए कि वह मुश्तरका जायदाद के फिजूल खर्च या गैर कानूनी उपयोगके रोकने के लिये या ऐसे कामके रोकने के लिये कि जिससे कोई कोपार्सनर मुश्तरका हुक्म इतनाई जारी करे जैसाकि 19 Bom. 269. के केस में है । लाभ लेनेसे नश्चित हो रहा हो अकसर देखा गया है कि मुश्तरका खानदानके लोग बिना बटवारा हुये भी अपनी सहूलियत के लिए मुश्तरका जायदादको अपने अलग अलग क्रन्जेमें रखते हैं और उससे लाभ उठाते हैं मगर यह प्राइवेट तौरका इन्तज़ामहें इसलिये अगर वह चाहें तो दूसरी तरह भी बदल सकते हैं । मगर वह मुकम्मिल या किसी तरह का बटवारा नहीं समझा जायगा, देखो - 12 Beng. L. R. 188,195. दफा ४२५ मेनेजरके अधिकार (१) मुश्तरका खानदानकी जायदादका इन्तज़ाम आम तौरसे बाप या घरका कोई दूसरा बड़ा करता है। मुश्तरका खानदानके मेनेजरको 'कर्ता' कहते हैं, हर सूरतोंमें बाप मुश्तरका खानदानकी जायदादका कुदरती मेनेजर होता है और नाबालिग लड़कोंके होने की सूरतमें बाप अवश्यही उस जायदाद 62
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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