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________________ ४६८ मुश्तरका खान्दान [छठवां प्रकरण Bing. L R. A. C. 108; 6 Bom. H. C. A. C. 54; 12 All. 4363; 18 All 115. अगर कोपार्सनरके किसी कामसे जायदादकी हालत बहुत तबदील न हो मसलन् उसने सिर्फ एक दीवाल बनाई कि जिससे जायदादका मुश्तरका लाभ उठाने में कोई बाधा नहीं पड़ती तो अदालत उसे रद्द नहीं करदेगी; विश्वम्भर बनाम राजाराम 3 Beng. L. R. 67. .. (४) ज़बरदस्ती बटवारा कराना-मुश्तरका खानदानके हरएक बालिग कोपार्सनरको अधिकार है कि वह मुश्तरका जायदादका बटवारा अपनी मरजीले कराले । परन्तु कोई बालिग लड़का अपने बापले उस समय बटवारा नहीं करा सकरा जबकि बटवारा चाहनेवाले लड़केका खाप आपने बाप (लड़केका दादा ) या भाइयों ( लड़केका चाचा) के साथ कोपासनर हो और वे जिंदा हों अर्थात् लड़के का दादा या चाचा ज़िंदा हों तथा कोरासनर हों। (५) हिसाब किताब देखने का अधिकार-बङ्गाल हाईकोर्टने यह माना है कि मुश्तरका रहने की सूरतमें भी हरएक कोपार्सनर मुश्तरका जायदाद सम्बन्धी हिसाब किताब देख सकता है तथा मांग सकता है जिससे कि वह जानसके कि मुश्तरका जायदादकी वास्तविक दशा क्या है। देखो - अभय चन्द्र बनाम प्यारी मोहन 5 Beng L. R. 347. (६) मुश्तरका लाभका अलहदा कर देना-कोई कोपार्सनर अपने मुश्तरका खानदानकी जायदादके लाभको नतो वसीयतसे और न दानके तौर से अलहदा कर सकता है। बम्बई और मदरास प्रांतके लिवाय अन्य प्रतोंमें वह उसे बैंच भी नहीं सकता। अर्थात् उक्त दोनों प्रांतोंके सिवाय किली प्रांत में मुश्तरका खानदानकी जायदाद या उसका मुनाफा आदिका इन्तकाल नहीं किया जासकता। (७) सरवाइवरशिपका हक़-जब कोई कोपार्सनर मुश्तरका जायदाद का बटवारा होनेसे पहिले मरजाय तो जायदादका उसका मुश्तरका हिस्सा उसके वारिसोंको उत्तराधिकारके तौरपर नहीं मिलेगा बल्कि सरवाइवरशिप (दफा ५५८), के द्वारा पीछे जीते रहने वाले दूसरे कोपार्सनरोंको मिलेगा; 9M. I. A. 543, 615. (८) मेनेजर -जो कोपार्सनर मेनेजरके तौरपर काम करता है उसे मुश्तरका जायदादकी व्यवस्थाके सम्बन्धमें कुछ खास अधिकार होते हैं जो दूसरे कोपार्सनरको नहीं होते देखो-दफा ४२५. (६) बापके अधिकार खास हैं-मुश्तरका जायदादकी व्यवस्थाके सम्बन्ध बापके कुछ खास अधिकार होते हैं जो दूसरे कोपार्सनरको नहीं होते।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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