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________________ wwwnwar मुश्तरका खान्दान [छठवां प्रकरण का मेनेजर होता है; देखो-सूर्य वंशी कुंवर बनाम शिव प्रसाद 6 Cal. 148, 165; 6 I. A. 88.. हिन्दू समाजमें मुश्तरका और बिना बटा हुआ खानदानका होना एक साधारण बात है। विना बटा हुआ खानदान सिर्फ जायदाद हीमें नहीं बल्कि खान पान और पूजनमें भी मुश्तरका होता है, इसलिये न सिर्फ मुश्तरका जायदादका ही इन्तज़ाम बल्कि उनके इकट्टे खान पान और पूजन आदिका प्रबन्ध भी खानदानके मेम्बरोंमें होता है या उनकी ओरसे अधिकार प्राप्त मेनेजर करता है; देखो--श्रीवरदा प्रताप बनाम बरजोक्रिस्टो 1 Mad. 69, 81; 3 I. A. 154, 191. जबतक कि एक खानदानके लोग मुश्तरका रहें तबतक घरका बड़ा पुरुष ही मुश्तरका जायदादके प्रबन्ध वरनेका अधिकारी है । और इस जायदादमें दान पुण्यकी जायदाद भी शामिल है। देखो--थंडावरोपा बनाम शुनमुगन ( 1908 ) 32 Mad. 167, 169. लेकिन घरका बड़ा पुरुष अपने प्रबंधका अधिकार अगर वह चाहे तो छोड़ सकता है और उसकी जगह घरका कोई छोटा पुरुष मेनेजर (प्रबंधक ) नियुक्त होसकता है; 29 Cal. 797 . यद्यपि जन्मसेही पुत्र मौरूसी जायदादका हक़दार अपने पिताके समान ही होजाता है तो भी पिताको यह अधिकार है कि अपने पैतृक संबंधके कारण और घरके मुखिया तथा मेनेजरकी हैसियतसे खानदानकी जायदादका प्रबंध खानदानके लाभ के लिये जैसा मुनासिब समझ करे। इसलिये पुत्रको यह अधिकार नहीं है कि खानदानकी जायदादके किसी खास हिस्सेपर अपने पिताकी मरज़ीके खिलाफ क़ब्ज़ा करे, यदि ऐसा करे तो पिता उस पुत्रके कब्ज़ा निकाल दिये जानेका दावा करसकता है, देखो-बलदेवदास बनाम श्यामलाल 1 All. 77. अगर पुत्र मुश्तरका जायदादमें बापका प्रबंध पसंद न करता हो तो वह बटवारा करा सकता है प्रबंधमें बापके खिलाफ कुछ नहीं करसकता है। मुश्तरका खानदानकी जायदादके मेनेजरको, मेनेजर होने के कारण उस खानदालके अन्य लोगोंकी अपेक्षा कोई विशेष मालिकाना अधिकार या जायदादमें दूसरोंसे अधिक लाभ उठानेका अधिकार प्राप्त नहीं होता। अगर मेनेजरका कुछ भी अधिक अधिकार है तो यह है कि-वह शानदानके नाबालिगोंके हिस्से सहित खानदानकी सब जायदादका हिन्दूलॉ के अनुसार प्रबंध और इन्तकाल कर सकता है। देखो-नुन्ना बनाम चिदारा वोईना 26 Mad. 214, 221. (२) आमदनीपर मेनेजरका अधिकार-खानदानके मुखियाकी हैसियतके मेनेजरको आमदनी और खर्चपर पूरा अधिकार है और जो कुछ खर्च करके बचत रहे उसका भी वही अपने पास रखनेवाला होता है। जबतक कि वह खानदानके कामों के लिये जायदादकी आमदनी खर्च करता है तबतक वह
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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