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________________ [ छठवाँ प्रकरण है और ऐसाही होना चाहिये था क्योंकि अगर ऐसा न होता तो हो सकता है कि बालिग होनेपर उन कुजके देने से इनकार कर देता तो फिर ऐसी सूरत में मेनेजरको कोई आदमी क्रर्जा नहीं देता और इसलिए मुश्तरका खान्दानका कारोबार बरबाद हो जाता । (२) ऊपर यह भी कहा जा चुका है कि मेनेजर के लिए ' हुए जिस कर्जे में अन्य कोपार्सनर शरीक न हो या उन्होंने उसे स्वीकार न किया हो तो उस क्रर्जे के अदा करने के लिए मुश्तरका खान्दानकी जायदादका उनका हिस्साही पाबन्द होता है उनकी अलहदा जायदाद नहीं पाचन्द होती । इसका कारण यह है कि मेनेजरका अधिकार मुश्तरका जायदाद के अन्दरही रखा गया है | कानून, कोपार्सनरकी अलहदा जायदाद के विषय में, को पार्सनरको मेनेजरसे अलग मानता है। ४८६ मुश्तरका खान्दान ( ४ ) जब कोई विधवा अपने पति के कारोबारके लाभके लिये कोई क़र्ज़ा ले तो वह क़र्ज़ा उस विधवाके मरनेके बाद भी उस कारोबारसे वसूल हो सकता है चाहे विधवाने क़र्जेके एवज़में कारोबारको रेहन नहीं रखा हो। देखो - सकराभाई बनाम मगनलाल 26 Bom. 206: (क) कोपार्सनरों के अधिकारका वर्णन ( १ ) सब को पार्सनरोंके लाभों और क़ब्ज़ेकी एकता - मुश्तरका खानदानकी जायदाद में किसी भी एक कोपार्सनरका कोई खास हक़ या कोई खास अलहदा लाभ नहीं हो सकता और न उस जायदाद के किसी एक टुकड़ेपर उसका अलहदा क़ब्ज़ा हो सकता है देखो - 26 Bom. 141, 144. प्रिवी कौन्सिल के जजोंने कहा है कि "कोपार्सनरी जायदाद में खानदानके सब लोगों का लाभ और क़ब्ज़ा एकसा होता है" देखो - 9M. I. A.543, 615. (२) आमदनीका हिस्सा - मिताक्षराला के अनुसार मुश्तरका खानदान की जायदादमें उसका कितना हिस्सा है । उसका हिस्सा सिर्फ बटवारा होने से ही मालूमहो सकता है, देखो - एयोबियर बनाम रामा सुवारयम 11 M. I. A. 75. 89. जबकि मुश्तरका रहने की सूरत में कोई आदमी मुश्तरका जायदाद किसी हिस्सेका अलहदा हक़दार नहीं है तो इसी तरह वह मुश्तरका जायदाद की आमदनीके भी किसी हिस्सेका अलहदा हक़दार नहीं है; देखो -23 Bom 144 मुश्तरका खानदानकी जायदाद की सब आम दनी सबके साझे कोषमें लाई जायगी और वहीं से मुश्तरका खान्दानके सब लोगोंकी ज़रूरत के अनुसार उसका खर्च होगा, देखो - 11 M. I.A. 75,89. (३) मुश्तरका क़ब्ज़ा रखना, और मुश्तरका लाभ उठाना - हर एक कोपार्सनर मुश्तरका खान्दानकी जायदाद के मुश्तरका क़ब्ज़े और मुश्तरका लाभ उठानेका हक़दार है । अगर कोई कोपार्सनर ज़बरदस्ती मुश्तरका क़ब्ज़े और मुश्तरका लाभ उठाने से बंचित रखा जाय तो वह कोपार्सनर अदालतमें इस बात का दावा दायर कर सकता है कि वह मुश्तरका रहने पाये और कुल
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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