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________________ दफा ४२४ । अलहदा जायदाद ५-साधारण साझीदारी में जब कोई साझीदार नाबालिग हो तो साझेदारीके कके लिये तो उस नाबालिगका हिस्साही ज़िम्मेदार है उसकी अलहदा जायदाद जिम्मेदार नहीं हैं। मगर यदि उसने बालिग हानेपर साझीदारी स्वीकार करली हो तो फिर उसकी दूसरी अलहदा जायदाद भी उस कर्जेके अदा करने के लिये जो उसकी नाबालिगीमें लिया गया है ज़िम्मेदार होगी। देखो-कन्ट्राक्ट ऐक्टकी दफा २४७, २४८ एक्ट नं०६ सन १८७२ ई० यही ऊपरका नियम नाबालिग कोपार्सनरोंके लिये भी है अर्थात् मुश्तरका खान्दानका मेनेजर मुश्तरका कारबार के लिये नाबालिग कोपार्सनरके हिस्से सहित मुश्तरका जायदादको रेहन रख सकता है (34 Bon. 72; 35 Bom. 692 ) ऐसी सूरतमें मुश्तरका खान्दानकी जायदादमें जो नाबालिग कोपार्सनरका हिस्सा है उतना ही ज़िम्मेदार होगा लेकिन अगर उस नाबालिग कोपार्सनरने बालिग होनेपर उस मुश्तरका खानदानके कारबारमें अपना साझा स्वीकार कर लिया हो तो फिर उसकी दूसरी अलहदा जायदाद भी उस कर्जे के अदा करने के लिये जिम्मेदार होगी देखो-विश्वम्भर बनाम शिवनरायन 29 All. 166. विश्वम्भर बनाम फतेहलाल 22 Ail. 176; 3 Cal. 738; 86. Cal. 349; 26 Mad. 214.. . (२) मुश्तरका खान्दानके कारोबारका मेनेजर मुश्तरका खान्दानकी ओरसे किसी गैर आदमीको अपना साझीदार बना सकता है; देखो-रामलाल. बनाम लक्ष्मीचन्द 1 Bom. H. C. app. li. जब मेनेजर ऐसी कोई साझीदारी गैर आदमीके साथ करे तो उसका फैसला यानी जो कुछ झगड़े उस साझीदारोंमें हों कांट्राक्ट एक्ट नं०६ सन १८७२ ई० के अनुसार होंगे क्योंकि वह कारोवार एक गैर आदमीके शरीक होतेही साधारण साझीदारी या कम्पनी का कारबार बन जाता है। ऐसे कारबारमें मेनेजरके, या मुश्तरका खान्दानके किसी दूसरे आदमीके, या उस और आदमीके मरतेही कानूनर शराकत टूट जाती है, देखो--सुखानन्द बनाम सुखानन्द 28 Mad. 344. (३) मुश्तरका खान्दानका कोई आदमी अगर कोई कारोबार करताहो तो इससे यह अनुमान नहीं किया जा सकता है कि उसका कारबार अवश्य ही मुश्तरका खान्दानका कारोबार है; देखो-वादीलाल बनाम शाह खुशाल 27 Bom. 157; 14 Bom. 189; 40 Cal. 523. जब कोई हिन्दू पिता और उसके दो पुत्र एक मुश्तरका व्यवसाय करते हों, तो यह समझा जायगा, कि वे एकही मुश्तरका खान्दानके सदस्य हैं यद्यपि इस कल्पनाका खण्डन हो सकता है, चेतनदास मोहनदास बनाम मेनर्स राली ब्रादर्स 83 I.C 138; A. I. R. 1925 Sind 153. नोट-(१) ऊपर कहा गया है कि मुश्तरका खान्दानका मेनेजर मुश्तरका खान्दानके लिए ज्ये कर्ज लेता है उसके अदा करनेके लिए नाबालिग कोपार्सनरका हिस्साभी. पामन्द है । यह बात योग्य
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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