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________________ ४४३ दफा ४०० ] कोपार्सनरी भी उसमें शामिल रहेगा अर्थात् क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ, प, और फ कोपार्सनरी में शामिल हैं। मगर ब, भ, और म, तथा उसकी सन्तान, हरगिज़ कोपार्सनरी में शामिल नहीं है । ( २ ) ऐसा मानो कि --अ, मर गया और उसकी छोड़ी हुई जायदाद उसके लड़कों को मिली तो सिर्फ उसी जायदाद में लड़के और लड़कों के नीचे की तीन पीढ़ियां, कोपार्सनरीमें शामिल हो जायेंगी; अर्थात् के मरनेपर ब, भ, भी कोपार्सनरी में शामिल हो जायेंगे, क्योंकि ब, भ, जायदाद के आखिरी मालिक से तीन पीढ़ी के अन्दर हैं। मगर म और उसकी सन्तान हरगिज़ शामिल नहीं होगी क्योंकि वह आखिरी मालिक जायदादसे पांचवीं पीढ़ी में है । मालिक भी एक पीढ़ी शुमार किया जाता है । यह स्मरण रहे कि - लड़के पोते, परपोते सर वाइवर शिप ( देखो दफा ५५८ ) के हक़ के साथ जायदाद लेते हैं । इसी तरहपर जब ऊपरकी शाखा वाले मर्द मरते जायेंगे तब नीचे की शाखा वाले मर्द कोपार्सनरीमें शरीक होते जायेंगे । (३) ऐसा मानो फि-अ, के मरनेसे पहिले क, ख, ग, मर चुके थे पीछे अ, मरा । तो उस समय अ, की जायदाद उसके पोतोंको मिली (घ, च, छ, ज, झ, );. पोते आखिरी मालिक जायदादके होगये तो अब उनके लड़के, पोते, परपोते, कोपार्सनरीमें शामिल हो जायेंगे, अर्थात् म, भी कोपासंनरी के भीतर आ जावेगा मगर य, र, नहीं आवेगा । ( ४ ) ऐसा मानो कि-अ, के मरने से पहिले उसके सब लड़के पोते, दोनों मर चुके थे पीछे अ, मरा। तो अब अ, के मरनेपर जायदाद उसके परपोतोंके पास पहुंची। वह ( परपोते ) जायदादके आखिरी मालिक हुये ऐसी सूरतमें उनके ( परपोतोंके ) लड़के, पोते, परपोते, कोपार्सनरीमें शरीक हो जायेंगे । अर्थात् जब जायदाद ऋ, के मरने पर प, फ, को मिली तो प, फ, के लड़के, पोते परपोते, भी कोपार्सनरीमें शामिल होगये यानी ब, भ, म, य, र, इसी तरह कोपार्सनरी बढ़ती जाती है । (५) अगर अ, के मरनेसे पहले उसके सब लड़के, पोते, परपोते मर चुके थे उसके पीछे अ, मरा और अ, के मरने के समय ब, और भ, ज़िन्दा थे, तो जायदाद मुश्तरका खान्दान के तरीक़े से नहीं मिलेगी बल्कि उत्तराधिकार ( Inheritance ) के अनुसार अ, के नज़दीकी वारिसको मिलेगी ( देखो प्रकरण १ ) यह माना गया है कि ऐसी सूरतमें अ, के मरने के समय कोपार्सन टूट गई थी । ( ६ ) ऐसा मानो कि--१-अ के मरने से पहिले क, ख, मर चुके थे पीछे अ, मरा । अ, का लड़का गा और उसके पोते, तथा परपोते ज़िन्दा हैं । २--अथवा क, पहिले मर गया ख, ग, और पोते, परपोते, ज़िन्दा हैं । ३-
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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