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________________ ४४२ मुश्तरका खान्दान [छठवां प्रकरण पर च, और छ, पैदा हुए, तो भी वह घ, से जायदादका बटवारा करा सकते हैं। क्योंकि कोपार्सनरीमें पैदाइशसे हक़ माना जाता है और जायदादके आखिरी मालिकसे तीन पुश्त तककी पुरुष सन्तान कोपार्सनरीमें शामिल होती है जैसाकि इस किताबकी दफा ३६६ के तीसरे सिद्धान्तमें बताया गया है। - (३) अब ऐसा मानो कि क, ख, पहले मर गये, उसके पीछे अ, मरा और अ, ने अपने मरनेके समय ग, और घ, को छोड़ा। तब यह दोनों भाई जायदादकोसर वाइवर शिपके हकके साथ ( देखो दफा ५५८) मुश्तरकन् लेंगे। घ, अपने दो लड़के च, छ, को छोड़ कर मर गया, तब च, छ, और च, का लड़का ज, भी 'ग' से जायदादका बटवारा करा सकता है। अगर ज, के कोई लड़का होता तो उसका भी यह अधिकार प्राप्त होता, क्योंकि कोपार्सनरी तीन पुश्तमें रहती है। (४) अब ऐसा मानो कि-क, स्त्र, और छ पहिले मर मये उसके बाद अ, मरा और उसने अपने मरते समय ग, और च, छ, को छोड़ा। ऐसी सूरतमें च, छ, का कोई हक्क जायदादमें नहीं है और वे ग, से बटवारा नहीं करा सकते, जो जायदाद ग, को अ, से मिली है। क्योंकि जायदाद ग, को अकेले मिली है। च, छ, के बाप घ, को जब जायदाद नहीं मिली, तो उनका तथा उनके लड़कोंका कोई हक़ नहीं रहा । ग, अकेले सब जायदादका मालिक होगा और ग, के मरनेपर उसकी सन्तानको वह मिलेगी। कोपार्सनरीके उदाहरण- . मूल पुरुष ऊपरके नक़शेमें कई तरहके अलग अलग उदाहरण समझो (१) ऐसा मानो कि, अ, मूल पुरुष है और जिन्दा है तो कोपार्सनरी .अ, से तीन पीढ़ी तक यानी उसके लड़के, पोते, परपोतों तक रहेगी और अ,
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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