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________________ मुश्तरका खान्दान [छठवां प्रकरण अथवा ग, (लड़का ), ज, झ, (पोते ), दोनों पहिले मर गये पीछे अ, मरा हो और क, ख, तथा बाकीके पोते, परपोते ज़िन्दा हैं, तो हर एक कुटम्बी जो इस कोपार्सनरीमें शामिल माने गये हैं उन्हें अधिकार है कि अपने बापके, या दादाके स्थानापन्न होकर चाचाओं या चचाज़ात दादाओंके साथ कोपार्सनरीके पूरे पूरे हक्क प्राप्त करें। (७) ऊपरकी सब बातोंपर ध्यान रखते हुये इस दफाके नक्शेमें यह बात भी समझ लीजिये कि-कोपार्सनरीमें कई एक छोटे छोटे परिवार ( Families) भी शामिल हो जाते हैं, परन्तु कोपार्सनरीके सिद्धांत और फैलाव के बाहर नहीं जा सकते जैसे-श्र, का परिवार तीन पीढ़ीमें फैला है। इसी तरहसे ग, का परिवार, दो पीढ़ीमें एवं क, ख, का परिवार एक, एक पीढ़ीमें फैला है। यह लोग बड़ी कोपार्सनरीके अन्दर छोटी छोटी कोपार्सनरी अपनी अपनी बनाते हैं। जिस तरहसे कि ग, यद्यपि अ, के साथ कोपासंवरी में शामिल है परन्तु ग, अपनी अलाहा कोपार्सनरी अ, की ज़िन्दगीमें सिर्फ अपने लड़कों और पोतोंकी बनाता है। एवं क, यद्यपि अ, के साथ कोपासेनरीमें शामिल है परन्तु क, अपनी कोपार्समरी सिर्फ अपने लड़कोंके साथ अ, की ज़िन्दगीमें बनाता है। इसका मतलब यह है कि मूल पुरुषसे तीन पीढ़ी नीचे तक कोपार्सनरी मानी जाती है इसमें चाहे जितने आदमी हों वह सब शामिल हैं, और इसीके अन्दर अपने अपने परिवारकी अलहदा अलहदा कोपार्सनरी मानी जा सकती है, परन्तु किसी तरहसे भी वह मल पुरुष या जायदादके आखिरी मालिकसे तीन पीढ़ीसे आगे नहीं मानी जायगई और इसमें मूल पुरुष तथा मालिक शामिल रहेंगे। कोपार्सनर (Coparcener) दफा ४०१ कौनलोग कोपार्सनर हैं और कौननहीं तथा उनकेहक: (१) कोपार्सनरके हक-कोपार्सनरीमें जो लोग शामिल माने गये हैं वही 'कोपार्सनर' कहलाते हैं। अर्थात् जो लोग मुश्तरका जायदादमें अपना हिस्सा रखते हैं वह लोग 'कोपार्सनर' कहलाते हैं । कोपार्सनरका हरू मुश्तरका जायदादमें यह होता है.. (१) जायदादपर कब्ज़ा रखना और उससे लाभ उठाना ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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