SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 501
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२० नाबालिग्री और वलायत [पांवयां प्रकरण डिक्रीकी तामील में न कुर्क किया जासकता था और म बेचा जासकता था (३) अतएव नीलाममें खरीदने वाला वली द्वारा खरीदने वालेको, उस सूरत में भी अब कि बयनामेकी स्वीकृति अदालतसे न प्राप्तकी गई थी. बेदखल नहीं कर सकता था-नरसिंहाचार्य बनाम तुलसा बाई 27 Bom. L. R. 483; 87 I. C. 712; A. I. R. 1925 Bom. 320.. -गा०.दफा २८और ३१-घलीका कर्तव्य-कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कुदरती वली हो या, कोई अन्य व्यक्ति हो, यदि अदालत द्वारा दफा २८ से ३१ तक बर्णित एफ्टके नियमों के अनुसार किसी नाबालिग़का वली मुक़र्रर किया गया है, तो उसपर नाबालिगकी जायदादके इन्तज़ामके मुताल्लिक एक्ट के अनुसार नियमोंकी पाबन्दी होगी। उस अवस्थामें उसे यदि वह कुदरती घली हो तो भी, उन नियमोंका उल्लङ्घन करने और अपने कुदरती वलीके अधिकारोंके अमल करनेका हक नहेगा। उस अवस्थामें, बिना. अदालतकी मजूरी, यदि कोई भी जायदाद मुन्तकिलकी जायगी, तो वह इस बिनापर भी कि वह उसके कुदरती वलीकी, हैसियतसे नाबालिगके फायदेके लियेकी गई. है. जायज़ न होगी-रामेश्वर बक्स बनाम मु२. रिधाकुंवर 87 I. C. 2383, A. I. R. 1925 Oudh. 6333. -गा०.दफा २६ और ३१-नाबालिग़की जायदादका बय-अदालत, द्वारा नियत किया हुआ वली, किसी नाबालिग्रकी जायदादको, बिना डिस्ट्रिक्ट जज़की इजाज़तके नहीं बेच सकता। इजाज़त देने या न देनेके सम्बन्धों अदालत इस बातपर विचार करेगी, कि आया जायदादके बेचनेकी ज़रूरत. है और बयनामेकी शर्ते नाबालिग़के हकमें फायदेमन्द है। वली द्वारा ठीक किये हुए मामलेकी इजाज़त होजानेपर भी, यदि डिस्ट्रिक्ट जजको उससे बेहतर मामला नज़र आवे तो वह पहिलेके हुक्मको मंसूख कर सकता है और किसी आफ़िसर द्वारा उसे नीलाम कराकर सबसे ऊंची कीमत वसूल कर सकता है-तरनीकुमार दत्त, बनाम श्रीशचन्द्रदास. 85 I. C. 667,,A. I. B. 1925 Cal. 1160. -गा. दफा ३०-कोर्ट आफ वाईसकी जायदादकी ओर से नियत बली; द्वारा बयनामा-नाबालिग. ने. अदालत, की आशा नहीं प्राप्त की-आया, नाजायज़ है। (एन) के पास एक विवादग्रस्त जायदाद थी वह एक पुत्री (टी), छोड़ कर मर गया। अदालतने (पार ) को नाबालिग और उसकी जायदाद की रक्षोके लिये वली नियत किया। (आर) ने जायदाद बिना अदालतकी इजाज़त (के )को बेच दिया। (के) ने उसी जायदादको मुद्दईके हाथ बेचा। (ए). (एन) के खिलाफ़ परवरिशका डिक़रीदार था। उसने उसी जायदादको कुर्क कराया जो कि अदालतकी नीलाममें खरीदी गई। उस व्यक्तिने
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy