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________________ हालकी नजीरें] गार्जियन एण्ड वाईस ४१६ खैरियत-शुकदेव राय बनाम राम चन्द्र 83 I. O. 24, A. I. R. 1924 All. 622. -गा० दफा २६- अदालतसे इजाजत प्राप्त करनेकी सूरतमें बयनामे और रेहननामेके मूलधनमें कोई अन्तर नहीं है। पार० एम० रमन चेट्टीयर बनाम त्रिगुण्य सम्बन्धम् A. 1. R. 1927 Mad. 233. -गा० दफा २६-जब किसी नाबालिग़के वली द्वारा अदालतकी इज़ाजत से किये हुए रेहननामे में मावजेकी रकमकी कुछ मदें ऐसीहों, जो वली द्वारा अपनी जिम्मेदारीपर रेहननामेके पहिले तो लीगई हों, और रेहननामेमें, बतौर कर्ज पेशगी बताई गई हों; यदि अदालत इस प्रकारके रेहननामेको, वाक्यातों की पूर्ण आगाहीके साथ इज़ाजत देती है तो वह रेहननामे मय उन मदोंके जायज़ है । आर० एम० रमन बनाम त्रिगुण्य सम्बन्धम् A. I. R. 1927 Mad. 233. -गा० दफा २६-जब अदालतकी इजाज़त किसी नाबालिग़के वलीको नाबालिगकी जायदादपर क़र्ज़ लेनेकी होगई हो, तब कर्ज देने वालेको उस हुक्मपर विश्वास करनेका अधिकार है और उसके लिये यह आवश्यक नहीं है कि वह कर्ज़के लिये कानूनी आवश्यकता या नाबालिग़को जायदादके फायदे आदि मुनासिबतकी ओर विचार करे; और जब अदालतकी इजाज़त से कोई इन्तकाल हुआ हो, तो मुन्तकिल अलेह उस हुक्मपर निर्भर रह सकता है और वह इन्तकाल बहाल रक्खा जायगा, यदि मुन्तकिल अलेहने किसी प्रकारकी धोखेबाजी या बेईमानीके कार्य में भाग नहीं लिया है। आर० एम० रमन बनाम त्रिगुण्य सम्बन्धम् A. I. R. 1927 Mad. 233. -गा. दफा २६-और ३०-हुक्म नाकाबिल अपील--लक्ष्मी प्रसाद बनाम बल्देव दुबे 87 I. C. 251 (1); A. I. R. 1923 All. 14. -गा० दफा ३० -बिना इज़ाजत अदालतके नाबालिराकी जायदाद बेचना -आया अमान्य है-मुकद्दमा सम्बन्धी जायदाद( अ )की है, जोकि एक पुत्री छोड़कर मरगया था। (ब) अदालत द्वारा नाबालिगकी जायदाद और जिस्म का वली नियत किया गया। (ब) ने बिला इज़ाजत अदालत जायदाद (स) को बेच दिया। (अ) के खिलाफ एक परवरिशकी डिक्री पाये हुए डिक्रीदार ने, उस जायदादको कुर्क कराया, जोकि अदालत द्वारा बेचने पर खरीदी गई। उस व्यक्तिने, जिसने उस जायदादको वलीसे खरीदा था, नीलाममें खरीदने वालेके खिलाफ कब्जेका दावा किया-तय हुआ (१) कि बिला इजाज़त अदालत वलीका बयनामा, किसी व्यक्तिकी तहरीकपर, जिसपरकि उसका असर पड़ता हो, अमान्य है। (२)नाबालिग़का अधिकार, जिसके द्वारा वह अनधिकार बयनामेको मंसूख करनेके लिये मुकदमा चला सकता था, किसी
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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