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________________ दफा ३७२-३७३] नाबालिग्री और वलायत चीज़ देवे, तो वह आदमी अपना रुपया अज्ञानकी जायदादमें से ले सकता है। मगर अज्ञानकी ज़ात पाबन्द नहीं होगी। अगर किसी श्रादसीने अज्ञानको या अज्ञानके वलीको या मेनेजरको, अज्ञानकी हैसियत के मुताबिक, उसकी कानूनी ज़रूरतों के लिये कुछ करज़ा दियाहो, या दूसरी कोई चीजे दीहों तो वह आदमी अक्षान की जायदाद मेंसे अपना रुपया वसूल कर सकता है। दफा ३७३ कानुनी ज़रूरतें यहभी होंगी (१) जब कोई मुकद्दमा ऐसा दायर हुआ हो जिससे अज्ञानकी जाय. दादमें नुकसान पहुंचने वालाहो, तो उस सूरतमें जो खर्च उसकी जायदाद के बचानेके लिये किया जायगा-कानूनी ज़रूरत है देखो-वट किंगस पनाम धरनू बाबू ( 1881 ) 7 Cal. 140. (२) अगर कोई मुक़हमा डाकेज़नी का ( या इसी किस्मका कोईसन्गीन केस ) श्रज्ञानपर लगाया गयाहो, तो उस केससे छुटाने के लिये जो खर्च पड़ेगा, कानूनी ज़रूरत है, देखो-श्यामचरनमल बनाम चौधरी देबिया सिंह ( 1894) 21 Cal. 872. (३) जब अज्ञानकी जायदाद किसी डिकरीमें नीलाम हो रहीहो, या बिक रहीहो, तो जो रुपया उसकी जायदाद बचानेके लिये दिया जायगा। कानूनी ज़रूरत है। देखो--आत्माराम बनाम हुनर (1888 ) Punjab Rec 96. ४) अविभक्त परिवारके मेनेजरको, अशान लड़कोंकी बहनकी शादी करनेके लिये अगर कोई क़रज़ा दे तो वह अज्ञानकी जायदादसे वसूल हो सकता है यह कानूनी ज़रूरतहै देखो-नूरदान प्रसाद बनाम अयोध्याप्रसाद ( 1910) 32 All. 325; और देखो खानदानी ज़रूरतें क्या क्या हैं । दफा ३४८. नोट-अगर अज्ञानकी कानूनी जरूरतके लिये रुपया दिया गया हो, या कोई चीजें दीगयी हो, जो उस अज्ञानकी हैसियत के खिलाफहों, तब वह कानूनी ज़रूरत ठीक नहीं रहेगी, और नहीं मानी जायगी । जैसे किसी अज्ञानकी हैसियत ५०) रु. मासिक खर्च करनेके अन्दाजकी है अज्ञान स्कूलमें पढ़ताहै, उसे रातमें पढ़ने के लिये एक लेम्पकी जरूरतहै, जो कानूनी जरूरत मानी गयी है किसीने ६०) रु. की एक लेम्प उसे देदी तो वह कानूनी जरूरत नहीं रही । कानूनी जरूरतसे यह मतलबहै कि जो फिजूल खर्च, या सुखोपभोग, या देखावाके लिये नहो । साधारण तरहसे बसर होने योग्यहो, इस बातकी जांच रुपया देने वालेको या चीजें देने वाले को अच्छी तरह पर कर लेना चाहिये । क्योंकि जब वह अपना रुपया दिलापानेकी या चीजोंकी कीमत दिलापानेकी नालिश अज्ञानके विरुद्ध करेगा तो उसे साबित करना पड़ेगा कि उसने अज्ञानके लाभके लिये कानूनी जरूरतोंके रफा करनेकी सरजसे अज्ञानकी हौसयतके अनुसार रुपया दिया था या चीजें दीथीं । अगर ऐसा सुबूत वह नहीं दे सकेगा तो अदालत उसके दावापर विश्वास नहीं करेगी । ऐसी सूरत में रुपया मिलना मुशकिल हो जायगा ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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