SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 457
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७६ नाबालिगी और वलायत [पांचवां प्रकरण (४) अज्ञानकी उचित फिकर न रखता हो, या बुरा वर्ताव करता हो। (५) इस ऐक्टकी बातोंको या कोर्टके हुक्मको बराबर न मानता हो । (६) किसी ऐसे अपराधके प्रमाणित होजानेपर, जिससे कोर्टकी रायमें उसका चालचलन खराब मालूम हो, और अज्ञानके बली रहनेके अयोग्य हो। (७) अगर वली अपने कर्तव्य काम, ईमानदारीसे पूरा करनेके विरुद्ध निजी लाभ रखता हो। (८) कोर्ट के अधिकारी इलाकेके अन्दर रहना बन्द कर दिया हो । (6) जायदादके वली होनेकी सूरतमें, वलीका दिवाला निकल गया हो या इन्साल्वेन्ट होगया हो यानी 'लाह' लेलिया हो। (१०) जिस कानूनके अज्ञान अधीन है, उस कानून की वजेहसे वली की वलायत खतम होजाने पर या खतम की जा सकने पर । - नोट-जो वली वसीयत नामाके द्वारा या अन्य किसी लेख के द्वारा नियत किया गण है तो वह इन बातों से नहीं हटाबा जायगा । १-ऊपरके सातवें पैरे से-बशर्तेकि यह सावित न होजाय कि ऐसा विरुद्ध लाभ जिस आदमी ने उसे नियत किया था उसके मरने के बाद पैदा हो गया है, अथवा नियत करने वाले आदमी ने ऐसा विरुद्ध लाभ करनेकी आज्ञनतामें वली नियत किया है । २-ऊपरके आठवें पैरेसे-लेकिन अगर वलीने अपनी मकूनत ऐमी जगह रखी है जिससे कोर्ट की रायमें वलीको अपना कर्तव्य काम करने की असुविधा पैदा होगई है तो ऐसी सूरतोंमें हटा दिया जायगा । पहिली बात इसतरह पर समझो कि जैसे रामने वली नियत किया और रामके मरनेपर उसने विरुद्ध लाभ उठाया या रामके समयम वह वली होनेसे पहिले अज्ञानके विरुद्ध लाभ उठाता था मगर राम इसबातको जानता नहीं था,और रामने चिनाजाने कि वह अज्ञान के विरुद्ध लाभ उठा रहाहै, इसबात की अज्ञानतामें,उरो वली नियत करदिया अगर ऐमा साबित होजाय तो वली हटाया जायगा । वली हटाये जानेके बारेमें साबित करना उस पक्षपर निर्भर होगा जो वली हटाये जानेकी अर्ज करता हो । (इन्डियन कांट्रेक्ट एक्ट : सन १८७२ ई० के अनुसार) दफा ३७२ अज्ञानकी जायदाद करजेकी कब ज़िम्मेदार होगा इन्डियन कांट्रेक्ट एक्टकी दफा ६८-वह श्रादमी जो मुआहिदा करने की योग्यता नरखता हो, या वह आदमी जो उसे कानूनन् पालन करनेके लिये वाध्य हो, इन दोनोंको अगर कोई उस लड़के की हैसियतके अनुसार जो मुाहिदा नहीं कर सकताथा, कानूनी ज़रूरतों के लिये करज़ा दे या कोई
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy