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________________ २१८ दत्तक या गोष [चौथा प्रकरण हुआ ( Per Muker J. J.) कि जैनियों में गोद का लेना महज़ एक रिवाज है वह कोई आत्मिक आवश्यकता नहीं है और एक विवाहित मनुष्य भी दत्तक लिया जासकता है। इकरारनामा नाजायज़ नहीं है और कानूनी अदालत में काबिले तामील है। ___Sir Lindsay J. हिन्दू विधवा जो अपने पति के लिये दत्तक ले रही हो, अपने पति की जायदाद से, दत्तक द्वारा अपने किसी सम्बन्धी या दत्तक से अपरिचित व्यक्ति के लिये कोई शर्त नहीं करा सकती। इस प्रकार की शर्त की तामील का हुक्म देना विधवा द्वारा अन्य प्रकार से उस कार्य के करने इजाज़त देना है, जिसे कि हिन्दू लॉ उसे सीधे तरीके पर करने कीआज्ञा नहीं प्रदान करता; अतएव इस प्रकार का इकरारनामा तामील के योग्य नहीं है। मित्र सेन बनाम दत्तराम 87 1. C. 724; A. I. R. 1926 All. 7. (७) दामुष्यायन दत्तक भार अन्य जरूरी बातें दत्तक विषयका सातवां भाग दो हिस्सों में बटा है ( क ) द्वामुष्यायनदत्तक दफा २८१-२९२ (ख) दत्तक संबंधी अन्य जरूरत बातें दफा २९३-३२१. (क) दामुष्यायन दत्तक दफा २८१ हामुष्यायन दत्तक ऊपर जितने प्रकार के गोद कहे गये हैं उन सबमें दत्तक पुत्र अपने . असली बापकेखानदानसे अलाहिदा होजाता है और नये खानदानमें चलाजाता है मगर एक किस्म गोदकी वह है जिसमें लड़केका सम्बन्ध दोनों खानदानों में बराबर बना रहता है और वह दोनों खानदानों का लड़का कहलाता है तथा दोनोंकी संपत्ति का वारिस होता है उस गोद को द्वामुष्यायन कहते हैं द्वामुष्यायन दत्तक आम दत्तक नहीं हैं । जब दो सगे भाइयों के बीचमें एक भाई के एक ही लड़का हो और दूसरेके कोई न हो, तथा उसे यह रञ्ज हो कि मेरा धार्मिककृत्य कौन पूरा करेगा, लड़के वाला भाई राज़ी होकर अपने दूसरे भाई को जिसके कोई नहीं है अपना लड़का इस शर्त के साथ गोद देवे, कि, यह लड़का दोनों भाइयोंकी धार्मिक कृत्य पूरा करेगा तथा दोनों की जायदाद पावेगा तो वह द्वामुष्यायन पुत्र है देखो, इस किताब की दफा १६८.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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