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________________ दफा २७८-२८०] दत्तक लेनेका फल क्या है r-wwwwwwwwwwww होगी ऐसे इकरारनामें की मन्सूखी की मियाद तीन सालकी होगी। और यह मियाद बालिग होनेके वक्तसे शुरू होगी। यह ध्यान रहे कि ऐसी नालिशके देर करने में अगर कोई योग्य कारण न हो तो ख्याल किया जासकता है कि देर होने की वजेह कोई दूसरी थी जिसका असर वादीके विरुद्ध होगा औरदेखो, इस किताबकी दफा ८६. ____ गोद लेने वाले पिता और स्वाभाविक पिता के मध्य का इकरारनामा, जिसके द्वारा गोद लेने वाले को इच्छानुकूल अपनी जायदाद को प्रबन्ध करने का अधिकार दिया गया हो, दत्तकपुत्र पर लाजिमी नहीं है। पारवतीबाई बनाम विश्वनाथ 27 Bom. L. R. 1509. ऐसे गोद लेने वाले पिता जिसेकि अपनी रियासत के इन्तकाल का पूर्ण अधिकार है और स्वाभाविक पिता के मध्य का इकरारनामा-गोद लेने वाले पिता द्वारा किसी ऐसे इन्तकाल या वसीयत का, जो कि दत्तक पुत्र के हित के लिये किया गया हो दत्तक पुत्र पर लाज़िमी होगा । इस अवस्था में अदालत को महज़ यह देखना चाहिये, कि आया वह मामला दत्तक पुत्र के लिये लाभदायी है या नहीं। इस बातके लिये कोई कारण नहीं है कि अदालत इस बात पर विचार करे कि पाया दत्तक लेने के पश्चात् उसे इस प्रकार का मामला करने का अधिकार था या नहीं। हिन्दू पिता का अधिकार अपने पुत्र को गोद लेने के लिये, पुत्र, के किसी हित के मातहत नहीं है । कृश्नमूर्ति अय्यर बनाम कृष्णमूर्ति अय्यर (1925) M. W. N.632385 I. C. 8823 A. I. R. 1925 Mad. 9827 49 M. L. J. 252. .. कुदरती पिता-अपने पुत्र के वली की तरह काम करने का अधिकार गोद लेने वाले पिता द्वारा हिवः नामे के इस्तकरार की नालिश का नाजायज़ होना-समझौता-उसका परिणाम-यदि इससे बादकी नालिश पर असर पड़ता है-क़ानून रजिस्ट्रेशन में छल के साबित करने में असफलता-आया असावधानी है--गरीमेला अन्ना पुनय्या बनाम वेंकट सुह्मण्यम् 91 I. C. 7427 A. I. R. 1925 Mad. 1288. असली पिता और गोद लेने वाले पिता के मध्य इस सम्बन्ध का इन रारनामा कि गोद लेनेवाले पिता को पूर्ण अधिकार होगा, कि खानदानी जायदाद का, बटवारा जिस प्रकार उचित समझे प्रबन्ध करे-पाया इकरारनामे की पाबन्दी दत्तक पर है ? पारतीबाई बनाम विश्वनाथ 92 I. C. 4, A. I. R. 1926 Bom. 90. . एक जैन ने किसी व्यक्ति को गोद लिया । दत्तक ने एक इकरारनामा लिखा, जिसके द्वारा उसने विधवा के भाई को कुछ रकम देना मजूर किया विधबा के भाई ने इकरारनामे की बिना पर दत्तक पर नालिश किया तय 38
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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