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________________ दफा २६६-२६८ ] दत्तक लेनेका फल क्या है मैं उनमें से किसी एक को लेकर लड़का गोद लिया तो जिस स्त्रीके साथ पुरुषने दत्तक लिया वह तो दत्तक पुत्रकी मा कहलायेगी और बाक़ी सब स्त्रियां सौतेली मा कहलायेंगी चाहे वह बड़ी अथवा छोटी स्त्री हो यह बात मालूम होती है कि सौतेली मा सौतेले लड़के की वारिस नहीं हो सकती इसी तरहपर सौतेला पुत्र सौतेली माका वारिस नहीं हो सकता । २८७ दफा २६८ द्वामुष्यायनदत्तकमें असली माताका हक आगे समझाया गया है कि द्वामुष्यायनदत्तक कैसा होता है, देखो दफा २८१ से २९० यहांपर माताके अधिकारको कहते हैं । द्वामुष्यायन दत्तक दो सगे भाइयोंके बीच एकके एकही लड़का हो और दूसरेके कोई लड़का न हो, और वह लड़का इस शर्त के साथ गोद दे दिया जावे कि यह दोनों भाइयों का लड़का रहेगा वह लड़का द्वामुष्यायन है, ऐसे दत्तकको दोनों बापोंकी जायदाद मिलती है और वह दोनों बापोंकी धार्मिक कृत्य पूरा करता है । अब प्रश्न यह है कि द्वामुष्यायन दत्तककी असली माता तथा अन्य नज़दीकी वारिसों के बीच किस तरहपर हक़ माना जाता है ? इलाहाबाद हाईकोर्टने एक ऐसेही मुक़द्दमे का फैसला किया है जिसमें दत्तकपुत्र इस शर्त के अनुसार गोद दिया गया था कि यह पुत्र दोनों बापका लड़का रहेगा, दोनों दूरके रिश्तेदार थे सगे भाई न थे । दत्तक पुत्र, दत्तक लेने वाले बापके मरने के बाद उसकी जायदादका वारिस हुआ और पश्चात् अपनी एक विधवा छोड़कर मरगया, पुत्रके मरनेपर उसकी असली मा ने जायदाद पानेका दावा किया जो उसने छोड़ी थी । दत्तकलेने वाले बापके भतीजेने भी उसी जायदादके बारेमें दावा किया। हाईकोर्टने तजवीज़ किया कि - दत्तककी असली मा जायदाद पाने की अधिकारिणी है क्योंकि इक़रार नामेके अनुसार असली मा के सम्बन्ध में कोई फ़र्क दत्तक से नहीं पैदा हुआ; दूसरे अगर खुद वह जायदाद छोड़कर मर जाती तो दत्तक पुत्र उसका वारिस होता, तीसरे अगर दत्तक लेने वाली मा दोनों ज़िन्दा होतीं तो दोनों बराबर हिस्सेकी मालिक होतीं देखो; बिहारी लाल बनाम शिवलाल 26 All. 472. उदाहरण - शिवकुमार और रामसेवक दूरके रिश्तेदार हैं। रामसेवक और रामभरोसे सगे भाई हैं। शिवकुमारकी स्त्रीका नाम पार्वतीबाई तथा लड़केका नाम जैदेव है और रामभरोसेके लड़केका, नाम रामचरन है । शिवकुमार ने जैदेवको इस शर्त के साथ रामसेवक को गोद दिया कि यह लड़का दोनोंका लड़का रहेगा तथा दोनोंके धार्मिक कृत्य पूरा करेगा । कुछ दिन बाद रामसेवक मर गये पश्चात् जैदेव सब जायदाद का वारिस बहैसियत दत्तक हुआ, जैदेव गोद लेनेवाली माता (रामसेवककी स्त्री) के मरने के बाद एक विधवा छोड़कर मर गया । तब पार्वतीबाईने जैदेवकी छोडी हुई जाय
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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