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________________ दफा १४७१ बिना आशा पतिके विधवाका दत्तक लेना १७ (५) अगर पतिने स्पष्ट रीति से मनाही कर दी हो तो फिर विधवा किसी स्कूल के अनुसार गोद नहीं ले सकती। दफा १४७ बम्बई प्रांतमें सपिण्डों की मंजूरी कब ली जायगी ? बम्बई प्रांतमें बटे हुए कुटुम्ब की प्रत्येक विधषा को अपने अधिकार से गोद लेने की स्वतन्त्रता है। मगर विधवा को ऐसी स्वतन्त्रता होनेपर भी उसे पोतेकी जिन्दगी में विधवा दादी को गोद लेने का अधिकार नहीं हैंरामजी बनाम घामव 6 Bom. 498; केशव बनाम गोबिन्द 9 Bon. 94. जब जायदाद की मालिक केवल दत्तक लेनेवाली विधवा ही हो तो उस का दत्तक लेना जायज़ है क्योंकि,दत्तक लेनेसे वह केवल अपने को जायदाद से बेदखल करती है दूसरेको नहीं इस सिद्धांतके अनुसार जब जायदादकी वारिस विधवा बहू (लड़केकी विधवा ) हो तो उस सूरतमें सासका दत्तक लेना नाजायज़ माना गया है। -देखो गावडप्पा बनाम गिरिमल 13 Bom. 331; पायअप्पा बनाम अपना 23 Bom. 327, जमुनाबाई बनाम रामचन्द्र 7 Bom. 225; 11 Bom. 383, हालके मुकदमेमें माना गया कि हिन्दू दादी जो अपने बिना व्याहे पोतेकी वारिस हुई थी उसका दस्तक लेना नाजायज़ है-कृष्णाराव त्र्यंबक हसनबीस बनाम शङ्कराव बिनायक 17 Bom. I64; 26 Bem; 526. लल्लूभाई बनाम मानकुंवरबाई वाली नज़ीरके अनुसार बम्बई हाईकोर्ट के जस्टिस मि० बेचलर और चौबल जजकी उपस्थितिमें दत्तक लेनेकी अयोग्यताके इस सिद्धांतको उस साधारण विधवासे भी लागू करदिया है जो गोआज सपिण्डकी विधवाकी हैसियतसे वारिस हो। इस मुकद्दमेमें यह माना गया कि ऐसी विधवा दत्तक नहीं लेसती; देखो-दत्तोगोबिन्द कुलकर्णी बनाम पाण्डुरंग 32 Bom 499; 10 Bom. L. R. 692. इस फैसलेके सम्बन्धमें मि० घारपुरेने अपने हिन्दुलॉ में आपत्ति की है। वह कहते हैं कि फ़ैसलेपर कई प्रकारकी आत्तियां होसकती हैं। उनमेंसे सबसे साफ़ आपत्ति उन वजूहातके सम्बन्धमें है, जिनकी बुनियादपर यह फैसला कियागया। इस फैसलेमें कहा गया है कि 'यह बिल्कुल बेतुकी बात है कि जो अधिकार दादीको नहीं मिल सकता वह और भी दुरके रिश्तेकी औरतको दियाजाय ।" लेकिन यह स्पष्ट है कि दोनों विधवाओंके पतियोंका दर्जा भिन्न २ है और यह उचित नहीं है कि अन्य फैसलोंका सिद्धांत जिसके उचित या अनुचित होने के सम्बन्धमें हिन्दू समाजको सन्देह है उन मुक़द्दमों यानी गोत्रज सपिण्डकी विधवासे भी लागू किया जाय जिसका उस सिद्धांतसेकुछ भी लगाव नहीं है और न होनेका कहीं इशरा पाया जाता है, देखो घारपुरे हिन्दूला दूसरा एडीशन चेपटर है।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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