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________________ दफा १४४] बिना आज्ञा पतिके विधवाका दत्तक लेना इस गोदके समय जमुना जीवित थी । माना गया कि दत्तक नाजायज़ है। क्योंकि यद्यपि अजकी विधवा को गोद लेनेका अधिकार था, परन्तु जायदाद जमुना के अधीन थी; देखो--भुवनमयी बनाम रामकिशोर आचारी 10 M. I. A. 279; पद्मकुमारी वनाम कोर्ट आफ वार्ड्स 8 Cal. 302, 8 I. A. 229. नोट-इम उदाहरण में अंगर जमुना पहिले मर जाती तो सब जायदाद की वारिस बहैसियत माता के अजकी विधवा हाती उस समय भी दत्तक नाजायज़ हो सकता था। मदरास में अगर अजकी विधवा पतिके सपिण्डा की मंजूरी से पति के लिये दत्तक लेती. जहां ऐसा हो सकता है, तो वहांपर भी दत्तक नाजायज होता, क्योंकि दोनों में एकही सिद्धांत लागू होताहै; 10 Mad. 2057 44 I.A. 67 बम्बई में भी ऐसा दत्तक नाजायज़ माना गयाहै। देखो 9 Bom. 94. (४) अज मर गया और उसने एक लड़का तथा अपनी विधवा छोड़ी। लड़के को सब जायदाद पहुँच गयी । उसकी शादी हुई । पीछे वह अपनी विधवा जमुना को छोड़कर मर गया। कुछ समय में जमुना मर गयी । अब सब जायदाद अजकी विधवाको बहैसियत लड़के की मांके पहुँची। तब उसने पतिके लिये एक लड़का गोद लिया। माना गया कि दत्तक नाजायज़ है, क्योंकि विधवाके गोद लेने के अधिकारका अन्त हो गया जब अजका पुत्र, विधवा छोड़कर मर गया क्योंकि सम्भव था कि वह कोई दूसरी औलाद छोड़ जाता; 17 Bom. 164; 33 Cal. 1306; 33 Mad. 228. (५) अजं एक लड़का और विधवा 'सुन्दरी' को छोड़ कर मर गया। बापकी जायदादका लड़का वारिस हुआ। पीछे लड़का एक पुत्र शिवको छोड़ कर मर गया । शिव बापकी कुल जायदाद का वारिस हो गया। शिव बिन नव सब जायदाद सन्दरी को बहैसियत दादीके पहँची। तब सुन्दरीने पतिके लिये लड़का गोद लिया माना गया कि दत्तक नाजायज़ है, क्योंकि अधिकार में ताक़त गोद लेने की नहीं रही थी; देखो-रामकृष्ण बनाम श्यामराव 26 Bom. 526. (६) अज मर गया। उसने अपनी विधवा सुन्दरी को और अपने पोते (पौत्र ) शिवको छोड़ा । शिव सब जायदाद का बहैसियत दादा के पोते के पारिस हुआ। शिव बिल ब्याहा मर गया मरनेके सयम कोई विधवा या दत्तक नहीं छोड़ा। अब सब जायदाद सुन्दरी को बहैसियत दादीके मिली ।सुन्दरी ने एक लड़का पतिके लिये गोद लिया। माना गया कि दत्तक जायज़ है। यह ध्यान रखो कि अगर शिव विधवा छोड़ कर मर जाता तो सुन्दरी का गोद लेने का अधिकार समाप्त हो जाता, चाहे वह विधवा पीछे मर भी जाती। 26
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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