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________________ दत्तक या गोद - [चौथा प्रकरण दफा १४५ ससुर के मर जानेपर रजामन्दी जब विधवाका ससुर ( पतिका बाप ) मर गया हो या मौजूद न हो, तो दत्तककी रजामन्दीके सम्बन्ध में कोई ठीक कायदा कायम करना कठिन है। जिस मुक़दमे में ससुरकी रजामन्दी न हो वह अपने खानदान की हालत पर निर्भर होगा। इस बारे में सिर्फ इतनाही कहा जा सकता है कि ऐसे मुकद्दमे में रिश्तेदारों की रजामन्दी की ऐसी शहादत होना चाहिये जिससे अदालतको ठीक तौर से मालूम और साबित हो जाय कि विधवा ने दत्तक विधान ठीक और योग्य रीति से किया है, तथा दत्तक धार्मिक कृत्य के पूरा करानेके लिये लिया गया है। वह किसी बुरे इरादे या क्रोधसे या किसी को नुकसान पहुँचानेकी गरज़से नहीं लिया गया है। अगर सपिण्डोंकी रज़ामन्दियां मोल ली गयी हों और वह योग्य रीति की न हो तो वह गोदके जायज़ करनेके लिये काफ़ी नहीं हैं, चाहे वह दत्तक के लिये मज़बूत शहादत भी हों। अगर विधवा दत्तक के पूर्व कोई अयोग्य अलदहगी आदि अनुचित काम, काममें लावे तो उससे लड़के के हक़में बाधा नहीं पड़ेगी। यह माना गया है कि जब पतिने गोद लेनेकी आशा न दी हो तो इस शुभ कामके लिये सपिण्डोंकी मञ्जूरी है, मगर यह बात उस वक्त नहीं मानी जायगी जब पतिने मनाही करदी हो या मनाहीका अर्थ उसके कामोंसे निकलता हो या और अन्य बातें हों जो दत्तक की आवश्यकता को मिटा देने बाली हों। दफा १४६ मदरास में सपिण्डों की मञ्जूरी ज़रूरी है यह बात अकसर मानी गयी है कि अगर प्रधान सपिण्डकी मञ्जूरीसे विधवा गोद ले, तो वह दत्तक जायज़ होगा। मगर इसके खिलाफ एक मुक़द्दमे में बहस की गयी कि सपिण्डोंकी मञ्जूरी गैर ज़रूरी है मगर कोर्टने नहीं माना; देखो- असदादी बनाम कुप्पामल 3 M. H. C. 283; पराशर बनाम रामगरज2 Mad. 206:23 Mad. 486. (१)त्राकोर केस-इसी क्रिस्मका एक मुकद्दमा कुछ फरक्कके साथ पावंकोरमें पैदा हुआ। उसमें विधवा ने बिला रज़ामन्दी पति के भाई के जो शामिल शरीक रहता था दूसरे सपिण्डों की रज़ामन्दी से दत्तक लिया। अदालतने कहा कि दत्तक नाजायज़ है । चीफ़ जज साहब ने फैसलेमें कहा कि हिन्दू धर्मशास्त्रके अनुसार स्त्री स्वतन्त्र नहीं है। पहिले अपने बापकी निगरानी में रहकर पतिकी निगरानी में आती है, और पतिके मरनेपर विधवा अफसर खानदानकी निगरानी में रहती है । यह माना गया है कि ससुर के मौजूद न होनेपर बड़ा भाई अफसर खानदान होगा और कानूनकी दृष्टि से तथा यों भी
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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