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________________ १३४ पुत्र और पुत्रत्व [तीसरा प्रकरण दफा ८३ पुत्रिका पुत्र इन चौदह प्रकारके पुत्रोंमेंसे दो बड़े आवश्यक और समझने योग्य हैं, पुत्रिका और कानीन । पुत्रिका पुत्र-वह लड़का है जो उस लड़की के गर्भसे पैदा हो, कि जिसका विवाह वसिष्ठ के इस श्लोकके अनुसार किया गया हो अभ्रतृकां प्रदास्यामितुभ्यंकन्या मलंकृतां यस्यां यो जायते पुत्रः समपुत्रो भवेदिति । अर्थात् भाईसे रहित अलंकार युक्त कन्या को तुझे देताहूँ, इसमें जो पहला पुत्र होगा वह मेरा पुत्र होगा।यह लड़का औरस पुत्रके समान वसिष्ठने माना है अगर ज्यादा गौर करके देखा जाय तो इसके दो अर्थ होते हैं। पहला, उपरोक्त क्रसरके साथ कन्या देनेके बाद जो लड़का पैदा होगा वह पुत्रिका पुत्र है । दूसरा, जिस पुरुषके लड़का नहीं है वह अपनी लड़की को पुत्रवत् माने तो वह लड़की ही उसका लड़का है। ऐसी लड़कीके लड़के को पुत्रिका पुत्र कहते हैं। इस पिछले मतमें कुछ विरोध है। परन्तु यही दो भेद वसिष्ठजीने पुत्रिकापुत्र के सम्बन्ध में दिखाये हैं । यह पुत्र नाना का होता है। मिस्टर मेन ने अपने हिन्दूलॉ के दफा ७६ में कहा है कि--"लड़की जायज़ तौर पर अपने पति को विवाही गई, लेकिन फिर भी उसका बेटा उस लड़की के बापका बेटा होगया, बशर्ते कि, बापके कोईबेटा न हो। उक्त लड़की कालड़का कुछ इस सबबसे अपनी माताके बापका लड़का नहीं हो गया, कि कन्यादान करते समय लड़कीके पतिसे करार होगया थाः बक्लि इस सबबसे होगया, कि अपुत्रपिता का इरादा ऐसा था, । वसिष्ठने वेदका प्रमाण दिया है कि-'जो लड़की बिना भाई की हो, वह फिर अपने खान्दान में पुत्रकी हैसियतसे बाप और दूसरे आदमियों के पास वापिस आती है और वापिस आकर वह उनका बेटा' होजाती है। इससे मालूम होता है कि पुत्रहीन पिताने लड़कीपर अपना कबज़ा उस हद्दतक कायम रखा है कि अगर चाहे तो उसके लड़के को अपना लड़का बना ले अथवा ऐसे करारके साथ अपने कब्जे को रक्षित रखकर किसी के साथ शादी कर दे कि फिर यही परिणाम हो। .. मदरासमें मलाबारके नम्बूदरी ब्राह्मणों में इस क्रिस्मका रवाज अब तक मौजूद है । कहते हैं कि ये लोग लगभग पन्द्रहसौ वर्ष पहले पूर्वीय हिन्दुस्थान से आये, और अपने साथ हिन्दुओंके कानून का त्यक्त भाग लेते आये, जो 'हिन्दुओं में नामुनासिब समझा जाता था। जब कोई नाम्बूद्री कौमका पुरुष बिना मर्द औलाद के हो तो, वह अपनी सड़की की शादी ऊपर के कायदे के
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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