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________________ दफा ८२] पुत्र और पुत्रोंके दरजे १३३ (१०) क्रीत पुत्र-जो लड़का सअली मातापितासे, कीमत देकर खरीद लिया जाता है वह खरीदनेवालेका क्रीतपुत्र कहलाता है। (११) अपविद्धपुत्र-किसी लड़के को जब माता पिता अथवा उसका रक्षक त्याग देता है और दूसरा पुरुष उसे रक्षा करके रखता है तो वह पुत्र रक्षा करने वाले का अपविद्ध पुत्र कहलाता है। (१२) स्वयंदत्तपुत्र-जिस लड़के के मातापिता मर गये हों अथवा उन्होंने बिना कारण उसे त्याग दिया हो, और तब वह पुत्र खुद जाकर यदि किसी दूसरे पुरुष का लड़का बन जाय तो उसे स्वयंदत्तपुत्र कहते हैं। (१३) कुण्ड पुत्र-जो लड़का पति के जीवित रहने पर जार कर्मसे पैदा हो, उसे कुण्ड पुत्र कहते हैं । यह पुत्र पतिका होता है। (१४) गोलेक पुत्र-जो लड़का विधवा स्त्रीसे पैदा हो, उसे गोलक कहते हैं। मनुस्मृतिमें 'पुत्रिका पुत्र, नहीं लिखा है । मगर याज्ञवल्क्य विष्णु, गौतम, वसिष्ठ,नारद, बौधायन आदि स्मृतियोंमें पुत्रिकापुत्र, बारह प्रकार के पुत्रों के अन्तर्गत है । बल्लि गौतमने कहा है कि बिना पुत्रवाला पुरुष जब अग्नि और प्रजापतिको आहुति देकर ऐसी प्रतिज्ञाके साथ कन्यादान करता है कि इस कन्या का पुत्र हमारे पुत्रके स्थानपर होकर हमारा श्राद्ध आदि कर्म करेगा तब वह कन्या 'पुत्रिका" कहलाती है और उसका पुत्र पुत्रिकापुत्र कहलाता है । वसिष्ठने पुत्रिकापुत्रको तीसरे दरजे पर माना है । जब ऊपर की शर्तके अनुसार कन्यादान किया जाय उससे जो पुत्र पैदा होगा उसे पुत्रिकापुत्र और अन्य कन्याके पुत्रको दौहित्र कहते हैं । यद्यपि मनुने कुण्ड और गोलक पुत्रों की भी व्याख्या नहीं की है परन्तु इन दोनोंका समावेश गूढज और पौनर्भवमें क्रमसे होजाता है। (१०) क्रीणीयाधस्त्व पत्यार्थ मातापित्रोर्यमन्तिकात्। सक्रीतक सुतस्तस्यसदृशोऽसदृशोऽपिवा । मनुह-१७४.(११) माता पितृभ्या मुत्सृष्टं तयोरन्यतरेणवा । यं पुत्रं परि गृह्णीया दपविद्धः सउच्यते । मनु ६-१७१. (१२) माता पितृ विहीनो यस्त्यक्तो वास्याद कारणात्। आत्मानं स्पर्शये द्यस्मै स्वयं दत्तस्तु सस्मृतः । मनु ६-१७७. (१३) अमृते जारजः कुण्डः (१४) मृते भर्तरि गोलकः ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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