SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 216
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुत्र 'और पुत्रोंके दरजे अनुसार कर सकता है और इस क़िस्मकी शादीका नतीजा यह होता है. कि अगर उसकी लडकीसेलड़का पैदा हो तो, वह हर क़िस्म के मज़हबी कामके लिये मा बाप का बेटा अर्थात् नानाका बेटा होता है और अगर कोई लड़का न पैदा हो या इस क़िस्म की औलाद पैदा होने में कामयाबी न हो, तो उस लड़की के खानदानकी जायदाद, जिसकी लड़की मालिक थी पति नहीं पाता, बक्लि वह लड़की के बापके खानदान को वापिस हो जाती हैं। विशेष कर उस सूरत में कि जब शादीके साथ ही दामाद उचित रीति से उस जायदाद का निश्चित वारिस मुक़र्रर किया गया हो। इस विषय पर मदरास हाईकोर्ट में कई फैसले हो चुके हैं; देखो - कुमारिन बनाम नारायण 9 Mad. I. L. R. 260; 11 Mad. I. L. R. 1625 25 Mad. I. L. R. 662, 664 और देखो दफा ६०६. दफा ८३-८४ ] 3 १३५ दफा ८४ कानीनपुत्र कानीन वह लड़का है जो किसी कन्यासे विवाह संस्कार के पहले सवर्ण पुरुषसे पैदा हुआ हो । विवाहसंस्कार से यह मतलब है कि जब किसी लड़कीके, सिर्फ विवाह संस्कार हो जानेके बाद और पति का संग होनेके पहले लड़का पैदा होगा, तो वह लड़का उससे विवाह करने वाले पतिका होगा और अगर विवाह संस्कार होने के पहले लड़का पैदा हो गाया हो तो वह लड़की के बापका लड़का होगा । मगर शर्त यह है कि जब ऐसा लड़का पैदा हो गया हो और उसके बाद लड़की की शादी हो जाय, तो वह लड़का फिर उसके पति का हो जाता है । विवाह संस्कार होने के बाद पिताके घरमें जब लड़का पैदा होगा तो वह लड़का उपरोक्त पौनर्भव पुत्रकी हद्द में पहुँचता है; इसीलिये पति का होता है और पतिके साथ भाग पाता है। इसपर वसिष्ठका मत है, कि कुमारी अवस्था में जब लड़की से पुत्र, पिताके घर में पैदा होजाय और लड़कीका विवाह न हो तो वह लड़का नानाकै पुत्रके स्थानमें होकर नाना का पिण्डदान करता है और उसका उत्तराधिकारी होता है; अर्थात् नानाके धनमें भाग पाता है । सरकार और घारपुरे हिन्दूलॉके अनुसार भी यही बात पुष्ट होती है, कि पिताके घर रहनेवाली बिना व्याही कुमारी लड़की से पैदा हुए लड़केको कानीन पुत्र कहते हैं। अगर उस लड़की की शादी हो जाय, तो वह लड़का लड़की के पतिका होजाता है और शादी न होने पर लड़का, लड़की के बाप का होता है । पतिका लड़का होनेपर पति की जायदाद का और नानाका लड़का होनेपर नानाकी जायदाद का वारिस होता है या उसका, जिस की हिफ़ाज़त में वह (लड़की) रही हो। इसी तरह अगर कीई गर्भवती कन्या ( जो विवाह संस्कारसे पहले गर्भवती हो गई हो ) चाहे उसका गर्भ किसी
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy