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________________ १३३ पुत्र और पुत्रत्व [तीसरा मकरण (५) गूढंजपुत्र--विना जाने हुए पुरुषके सम्बन्ध से जब किसी स्त्री के गुप्तसहवास द्वारा पुत्र उत्पन्न होता है, उस पुत्र को गूढज कहते हैं और यह पुत्र उसके पतिका होता है। (६) पौनर्भवपुत्र--जो स्त्री पतिके छोड़ देनेपर अथवा विधवा होनेके बाद अपनी इच्छासे दूसरे पुरुषकी स्त्री बनकर पुत्र उत्पन्न करती है उसे पौनर्भव कहते हैं। (७) सहोदजपुत्र-अनजानसे अथवा जानबूझकर जो पुरुष गर्भवती कन्या से विवाह कर लेता है और उससे जो पुत्र पैदा होता है उसे सहोदज कहते हैं। यह पुत्र पति का होता है। (B) निषाद--पारशव-जब ब्राह्मण काम वश होकर शूद्रकी स्त्रीसे सहवास करता है उससे उत्पन्न पुत्र को पारशव-निषाद कहते हैं। यह पुत्र 'पारशव, इसलिये कहा जाता है कि ऐसा लड़का धर्मशास्त्र की दृष्टिसे जीते रहने परभी मरे हुएके समान है। (१) दत्तक पुत्र-जब माता पिता आपकालमें प्रीति पूर्वक किसी समान जातिके मनुष्य को विधिवत् अपना पुत्र दे देते हैं तब उस पुत्रको 'दत्तक पुत्र, कहते हैं ( देखो दफा १७४)। (५) उत्पद्यतेगृहेयस्य नवज्ञायेत कस्यसः । सगृहे गूढ उत्पन्नस्तस्यस्याद्यस्य तल्पजः । मनु ६-१७०. (६) या पत्यावा परित्यक्ता विधवा वा स्वयेच्छया। उत्पादयेपुनर्भूत्वा सपौनर्भव उच्यते । मनु ९-१७५. (७) या गर्भिणी संस्क्रियते ज्ञाताऽज्ञाता पिवा सती । बोढः सगर्भोभवति सहोद इति चोच्यते । मनु ६-१७३. (८) यं ब्राह्मणस्तु शूद्रायां कामादुत्पादेयत्सुतम् । सपारयन्नेव शवस्तस्मात्यारशव स्मृतः । मनु ६-१७८. (६) मातापिता वा दद्यातां यमद्भिः पुत्रमापदि। सदृशंप्रीतिसंयुक्तं सज्ञेयोदत्रिमः सुतः। मनु ६-१६८.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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