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________________ दफा ८५८] धर्मादेकी संस्थाके नियेम १०३६ www.mmmm..m-~(५) पहलेके कामको रद्द करना-कोई मेनेजर या दूसरा दूस्टी अपने अधिकारसे बाहर जो काम करे वह रद्द किया जासकता है और उस मेनेजर या दूस्टीफी जगह उसके पश्चात् श्राने वाला पदाधिकारी या कोई दूसरा आदमी जो उस टूस्ट में कुछ स्वार्थ रखता हो उस कामके रद किये जानेका दावा कर सकता है लेकिन यह दावा कानूम मियादका ख्याल रखते हुए किया जायगा: देखो-13 Mad. 277; 10 Bom. 34. अगर मठाधीश अनधिकारसे मठका या मठकी जायदादका इन्तकाल करे लेकिन उससे मठ की कोई हानि न होती हो तो ऐसा इन्तकाल मठाधीशं की जिन्दगी तक या उसके मठाधीश बने रहने की मुद्दत तक कायम रहेगा देखो-36 I. A. 148; 36 Cal. 1003; 14. C. W. N. 1; 11 Bom. L. R. 1234; 10 Bom. 34: (६) कोई श्रादमी जिसका स्वतंत्र कोई हक़ नहीं है और जो सिर्फ उस आदमीकी तरफसे काम करता है जिसे धर्मादा दिया गया था किसी तरहका पट्टा देनेका अधिकारी नहीं माना जायगा; देखो-रामदास बनाम महेश्वरदेव मिसिर 7 W. R. C. R. 446. (७) अगर कोई विदेशी सरकार किसी धर्मादेसे मेनेजर आदिकों हटा दे तो इससे धर्मादे की जायदाद पर कोई असर नहीं पड़ेगा जो ब्रिटिश इन्डियामें होः देखो-17 Bom. 601; 17 Bom. 620.. (८) दावा दायर कर सकताहै-महन्त, शिवायत, या धर्मादेके अन्य मेनेजरको अधिकार है कि धर्मादेकी रक्षाके लिये या धर्मादे की जायदाद प्राप्त करने के लिये या उसके दूसरे लाभके लिये जब ज़रूरी हो अदालतमें दावा दायर करे और उसकी ठीक पैरवी करे; देखो -शंकमूर्ति मुदालियर बनाम चिदंबरा नादन 17 Mad. 143; 31 1. A 2037 3.2 Cal. 129; 8 C. W. N. 8097 6 Bom. L. R. 765. अगर मेनेजर नाबालिग हो तो उसे कानून मियाद सन् १९०८ की दफा ६ का लाभ प्राप्त होगा यानी बालिगीके बाद भी मियाद मिलेगी। किन्तु वे ऐसा दाका नहीं कर सकते कि धर्मादेकी अमुक जायदादमें सिर्फ हक निश्चित कर दिया जाय, मगर उसके पाने का दावा कर सकते हैं; 33M:d.55 कुछ लोग मन्दिरमें पूजा न करने पावें ऐसे दावे के लिये देखो-शङ्कर लिंगन्ना दान वनाम राजेश्वर दुराई राजा ( 1908) 5 I. A. 176; 31 Mad. 236; 12 C. V. 1.546. शिवायत पहलेका रुपया वसूल कर सकता है-हिवानामेमें जो शर्ते शिवायत नियत होने की लिखी हों उन्हें कोई तोड़ नहीं सकता शिवायतका हक़ जिसे मिला हो वह अपना यह हक़ दूसरेको दे नहीं सकता । देवोत्तर ( देवमूर्ति ) की जायदादके सम्बन्धमें वही शख्स दावा कर सकता है जिसे
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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