SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1076
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दफा ८११-८१२] वसीयतके नियम में वे और उनकी संतान हमेशा रहे तथा उसको इस्तेमाल करें मगर किसी को भी उस मकानके बेचने, रेहन करने या दान आदिमें देनेका अधिकार कभी प्राप्त नहीं होगा। और दूसरी जायदादके सम्बन्धमें बापने यह आशाकी कि उसकी आमदनी बराबर हिस्सेसे बांटकर वे लेते रहें और पुत्रोंके मर जानेके पश्चात् उनके पुत्रों के दरमियान उसका बटवारा हो सकेका उनके हिस्सों के अनुसार । अब उन तीन पुत्रोंमें से एक पुत्र मरगया उसने एक लड़का और अपनी विधवा छोड़ी। विधवाने उक्त मकानका तीसरा हिस्सा पानेका दावा किया दावा इस बुनियाद पर किया कि तीनों पुत्र उस मकानमें काबिज़ शरीक ( Tenants in common दफा ५५८) रहते थे सरवाइवर शिप्का हक नहीं रखते थे इसलिये पतिका हिस्सा दिलाया जाय। यह मुकद्दमा मदरास हाईकोर्ट में जस्टिज सुब्रह्मण्य ऐय्यरके सामने पेश हुआ, माननीय जजने सब बातोंका बड़ी बारीकीसे विचार कर अन्तमें यह फैसला दिया कि वे क्राबिज़ मुश्तरक (Joint tenant दफा ५५८) थे, सहवाइवर शिपका हक लागू होगा। दावा खारिज किया देखो-28 Mad. 363. मुश्तरका खानदानके दो मेम्बरोंके हकमें वसीयत होनेसे वे वसीयत पाने वाले संयुक्त हिस्सेदारों की भांति प्राप्त करते हैं। श्याम भाई बनाम पुरुषोत्तमदास 21 L.W. 551; 90 I. C. 124; A. I. R.1925 Mad. 645. दफा ८१२ वसीयतकी मंसूखी जो वसीयतनामा हिन्दूबिल्स् एक्ट सन् १८७०ई० के अनुसार किया गया हो ( देखो दफा ८०३) वह नीचे लिखी सूरतोंके सिवाय अन्य किसी प्रकार मंसूरन नहीं हो सकता वह सूरते यह हैं(१) वसीयत करने वालेने पीछे एक दूसरा वसीयत नामा लिख दिया हो, या (२) कोई ऐसी लिखत लिखी हो जिसके द्वारा पहलेकी वसीयतकी मंसूखीकी घोषणाकी हो या किसी समाचार पत्र या नोटिस या दूसरी तरह पर अपनी यह मंशा प्रकटकी हो, या '(३) वसीयतनामा जला दिया हो, फाड़ डाला हो, या दूसरी तरहसे नाश कर दिया हो, या (४) वसीयत करने वालेकी आज्ञासे और उसीके सामने किसी दूसरे के द्वारा वह वसीयतनामा जला दिया गया हो, या फाड़ डाला गया हो या दूसरी तरहसे नाश कर दिया गया हो। उपरोक्त कामोंमें वसीयत करने वालेका घसीयत मंसूख कर देनेका इरादा शामिल रहा हो । देखो-इस विषयमें इन्डियन् सक्सेशन एक्ट ३६
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy