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________________ [ सोलहवां प्रकरण सन् १६२५ की दफा ७० और हिन्दू विल्स एक्ट २१ सन् १८७० की दफा २३ और जिन वसीयतों से हिन्दू विल्स एक्ट २१ सन १८७० लागू नहीं होता वे ज़बानी मंसूत्र हो सकते हैं। वसीयत मंसूत्र करने के लिये यह ज़रूरी नहीं है कि वह किसी लिखतके द्वारा मंसूख की जाय। अगर वसीयत करने वालेने पहले के वसीयतको मंसूख कर देने के इरादेसे स्पष्ट आज्ञा दी हो कि वह वसीयतनामा नाश कर दिया जाय तो भी मंसूत्र हो जायगा; देखो - 3 Cal.626; 4 1. A. 228-245; 25 Mad. 678; 29 I. A. 158. ६६६ दान और मृत्युपत्र नोट- यहांपर लिखी हुई और जबानी वसीयत मंसूख करने की बात कही गई है वसीयत के होनेसे जिन लोगोंका हक्क मारा गया हो और वे यह कहते हो कि उसे वसीयत करानेका अधिकार न था या ऐसी बात कहते हो कि जिससे वसीयत करने वाला वसीयत या वैसी वसीयत नहीं कर सकता था ते। दूसरी बात है । उन्हें अपने कथनका स्पष्ट प्रमाण अदालत के विश्वास करा देने योग्य देना होगा तब वसीयत मनसुख हो जायगी ! दफा ८१३ इन्डियन सक्सेशन एक्ट इन्डियन् सक्सेशन एक्ट नं०३६ सन् १६२५ ई० की नीचे लिखी दफाएं हिन्दूबिल्स एक्ट नं० २१ सन् १८७० ई० ( जो कि प्रोबेट और एड मिनिस्ट्रेशन् एक्ट नं० ५ सन् १८८१ की दफा १५४ से संशोधित हुआ है ) की दफा २ के अनुसार हिन्दू वसीयतोंसे लागू की गई हैं, वे दफाएं यह हैं; ५६; ६१; ६२; ६३, ६४; ६८६ और ७० से ६० तक और ६५; ६६ ६८ तथा १०० से ११६ तक और ११६ से १६० तक तथा दफा २१३; इन दफाओंका विवरण ग्रन्थ विस्तार के भय से नहीं दिया है । अवधके ताल्लुकेदार - इन्डियन् सक्सेशन एक्ट नं० ३६ सन् १६२५ ई० की नीचे लिखी दफाएं अवधके ताल्लुकेदारोंकी वसीयत आदिसे लागू होती हैं; वे यह हैं - ६२, ६३ ६४ ६७; ६८; ७० से ६० तक और ६५; १६: ६८; और ९०१ से १११ तक । दफा ८१४ मालावार लॉ मालावर विल्स् एक्ट नं० ५ सन् १८६८ ई० में उन लोगोंकी वसीयत 'मारूमकट्टपम्' या 'अलियासन्तान' श्रादिकी व्यवस्था रखी गई है जिनसे नामक वरासतका क़ानून लागू होता है ――― 'अलिया संतान' - यह एक प्रकारका प्राचीन लॉ है जो दक्षिण कनारा प्रांत में प्रचलित है। कहते हैं कि इसे 'भूतलपण्ड्या' नामक एक राजाने सन् ७७ ई० में जारी किया था इसकी कथा इस प्रकार है, कि उक्त भूतलका मामा उस प्रांतका राजा था उससे कुण्डोदर नामके एक राक्षसने उसका पुत्र बलिके aौरपर मांगा परन्तु भूतलके मामाने इनकार किया । भूतलकी माताने भूतल
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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