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________________ दफा ७६६ ] दानके नियम ( १२ ) ऊपर कहा है कि दानकी चीज़पर दान लेने वालेका क़ब्ज़ा हो जामे से ही दान पूरा समझा जाता है इस विषय में क़ानून इन्तक़ाल जायदाद सन् १८८२ ई० की दफा १२३ देखो, जिसका मतलब यह है - ( १ ) अगर गैर मनकूला जायदाद दान दी जाय तो उसके इन्तक़ालके लिये यह ज़रूरी है कि दानपत्र की रजिस्ट्री हो, उसपर दाम देने वालेका या उसकी तरफसे, हस्ताक्षर किया जाय और उसपर दो गवाहियां हों, केवल क़ब्ज़ा दे देना, दान पूरा करनेके लिये ज़रूरी नहीं है और न ऐसा करने से ही दान पूरा समझा जा सकता है । ( २ ) अगर मनकूला जायदाद दान दी जाय तो उसका इन्तकाल ऊपर लिखे अनुसार रजिस्ट्री और हस्ताक्षरसे या केवल क़ब्ज़ा दे देनेसे ही हो सकता है इससे वह दान पूरा माना जायगा । १६३ नोट - कानून इन्तकालको उक्त दफा १२३ सब प्रकार के दानोंसे लागू होती है 14 Cal. 446; 23Bom. 234; 19 Mad. 433; किन्तु पंजाबमें इसका असर नहीं पड़ता । (१३) मिताक्षराके अनुसार दान वह है कि जब दान देनेवाला किसी चीज़ में अपना हक़ छोड़ दे और दान लेने वालेका हक़ पैदा करा दे उस चीज़ को दान लेनेवालेका हक़ तभी पूर्णरूपसे क़ायम होता है जब कि दान लेने वाला उस दामको स्वीकार कर ले नहीं तो नहीं होता । दानका स्वीकार करना तीन तरीक़ो से होता है मनसे, ज़बानसे और शरीर से । भूमिका दान तभी स्वीकृत समझा जायगा जब कि दान लेने वाला उसपर थोड़ासा क़ब्ज़ा करले, नहीं तो वह दान, बिक्री, या इन्तक़ाल पूरा नहीं माना जायगा । ( १४ ) जायदाद के मालिककी जिन्दगीमें उसके दानका स्वीकृत हो जाना श्रावश्यक है । दानकी मंजूरी - हिबा ( दान ) दानकी पूर्ति के लिये यह आवश्यक है कि उसकी स्वीकृति प्रगट करदी जाय । हिबानामेकी मंजूरी दानकी शहादतकी मंजूरीकी बादुलनज़री शहादत है । दाताके जीवनकालमें किसी समय दानके ग्रहणकी स्वीकृति होनी चाहिये । जमुनाप्रसाद बनाम शिवरानीकुंवर A. I. R. 1925 Pat. 251. दफा ७९६ पतिका दान अपनी पत्नीको (१) सामान्य सिद्धान्त तो यह है कि जब पति अपनी पत्नीको जायदादमें बिना स्पष्ट अधिकार दिये कोई दान कर देता है तो वह जायदाद पत्नी को पूरे अधिकारों सहित नहीं मिलती, उस जायदादमें उसके वही अधिकार रहते हैं जो उत्तराधिकारके द्वारा पति की जायदादमें विधवाके होते हैं, देखो 95 Cal. 896; 38 1. A. 118; इसलिये जब कोई गैरमनकूला जायदाद पति अपनी पत्नीको दे तो उसे साफ साफ अधिकार इन्तकाल आदिका लिख
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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