SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1045
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दान और मृत्युपत्र [सोलहवां प्रकरण देना चाहिये न लिख देनेकी सूरतमें उसे पूरा अधिकार दानकी जायदादपर नहीं होगा। स्त्रीको दान-डावसन मिलर चीफ़ जस्टिस ने कहा कि जब एक दान देने वाले ने ( हिन्दू मिथिला प्रणालीके आधीन ) अपनी स्त्रीके हकमें हिवा बिला एवज़ मुताल्लिक़ ताल्लुक्का लहरीमें अपने हिम्सेके, मय दरनतान, फल घाले व गैर फलवाले और आहर और पोखर और चश्मे और तालाब और कच्चे और पक्के कुंएं और सायर और नमक सायर और आवादीके मकानात और अपनी ज़मीदारीके तमाम अधिकार, जो अब तक उसके क़ब्ज़में बिना किसी साझीदारके थे, कर दिया, और फिर यह लिख दिया कि उसने मुसम्मातको उसपर काबिज़ कर दिया है और हुक्म दिया है कि वह उसपर कब्ज़ा पाकर उसकी पैदावार अपने पुत्रों और पीढ़ी दरपीढ़ीमें खर्च करे, और किसी दावेदार, उसके वारिस और प्रतिनिधिको यह अधिकार न होगा, कि वह मुसम्मात या उसके वारिस या प्रतिनिधिसे, उस हिवानामेमें लिखित बातोंका मावजेकी रक़मके सम्बन्ध में दावा करे । तय हुआ कि शब्द "मय पुत्रों और पीढ़ी दरपीढ़ी" से, जो हिबामें इस्तेमाल किये गये हैं वरासतका अर्थ पैदा होता है और 'ज़मीदारीका अधिकार' और 'कायम मुकामियात' से इन्तनालका अधिकार साबित होता है। यह भी तय हुआ कि शब्द जिनके द्वारा दान लेने वालेको पैदावारके खर्च करनेका अधिकार दिया गया है इन्तकालके अधिकारमें बाधा नहीं डालते । ऐसे शब्द भारतमें इन्तकालके सम्बन्धमें साधारणतया इस्तेमाल किये जाते हैं जो कि वरासतके योग्य तथा इन्तकालके योग्य रियासतोंका इन्तकाल करते हैं । हितेन्द्रसिंह बनाम रामेश्वरसिंह 4 Pat. 510; 6 P. L. J. 634; 87 1. C. 849; 88 I. C. 141 (2); A. I. R. 1925 Pat. 625. नोट--इस मुकद्दमे में हिबानामा नहीं माना गया बल्कि वह वरासतके क्रमका बताने वाला समझा गया। (२) स्त्रीका सीमाबद्ध अधिकार-पतिने पत्नीको जायदादका दान किया किन्तु कोई अधिकार स्पष्ट न दिया, माना गया कि पत्नी जीवनभर उस जायदादसे लाभ उठाती रहे इन्तकाल करनेका अधिकार नहीं है। 122 M. L.J.387:35 Cal. 8963 38 I.A. 11839M.L.J. 157:5 Bom. L. R. 334; 27 Mad. 498; 5 Cal. 684. स्त्री को दान देने में जजोंका मत-जस्टिस दासने कहा कि किसी हिन्दू द्वारा, अपनी स्त्रीके हकमें किये हुए हिवानामे के सम्बन्धमें अझलत इस बातके लिये बाध्य है कि वह यह मानकर कार्यवाही करे, कि प्रत्येक हिन्दू को यह ज्ञात है कि आम कायदेके अनुसार, स्त्रियां बरासत से प्राप्त होने वाली जाय
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy