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________________ १३६ स्त्री-धन [ तेरहवां प्रकरण है, देखो-सुवरिया पिलाई बनाम रामासामी पिलाई 23 Mad. 171; नरायनदास बनाम त्रिलोक तिवारी 29 All. 4, यह इलाहाबादका मुकदमा 21 Cai. 697; से भिन्न है। सरामयी विवा बनाम सेक्रेटरी आफ स्टेट 25 Cal. 254; 2 C W. N. 97; 5 Mnd. P. C. 161; और कानङ्गहम् डाइजेस्ट P. 112 में माना गया है कि वेश्या या रण्डी होजाने पर वरासतके साधारण नियमही लागू होंगे। नरायनदास बनाम त्रिलोक तिवारी 29 All. 4. के मामलेमें मानागया कि पतिका हक़ है और 23 Mad. 171 वाले मामले में सौतेले पुत्रका हक़ माना गया और 31 Bom. 495 वाले मामले में बेटीका हक माना गया। 25 Cal. 2043 20. W. N. 97 में कहा गया है कि ऐसा रवाज भी कहीं कहीं हैं कि वेश्या या रण्डीके वारिस उसके पतित कुटुम्बी होते हैं। नाचने गानेका पेशा करनेवाली स्त्री और व्यभिचारका पेशा करनेवाली स्त्री जैसे वेश्या या रंडी ने यदि गोद लिया हो तो उसके विषयमें देखो इस किताबकी दफा ११६. नोट वेश्या या रण्डी की जायदादकी वरासतमें सबसे पहिले उसकी लड़की वारिस होगी और अगर लड़की न हो तो उसको अनौरस नजदीकी संतान वारिस होना चाहिये । यदि संतान न हो तो नज़दीकी पतित कुटुम्बी, पीछे शुद्ध कुटुम्बीका वारिस होना योग्य होगा। नट, बेड़िये आदि कौमों में प्रायः यह रवाज प्रचलित है कि इन लोगोंकी औरतें वेश्या या रण्डी का पेशाभी करती हैं इस लिये माना यही जा सकेगा कि उनकी स्त्रियोंके स्त्रीधनका उत्तराधिकार वेश्या या रण्डियों के अनुसार होना चाहिये । अगर कोई रवान इसके विरुद्ध साबित हो तो दूसरी बात है । दफा ७७२ अनौरस सन्तान अनौरस संतानभी अपनी माकी जायदादकी वारिस होसकती है, देखो मैनाबाई बनाम उट्टाराम 2 Mad. H. C. 196-201; 21 Mad. 40; परन्तु यह नियम विवाहिता स्त्रीकी अनौरस संतानसे लागू नहीं होगा तिर्फ कुमारी की संतानसे लागू होगा, देखो-34 Bom. 553; 12 Bom. L. R. 545. शूद्रका गैर कानूनी पुत्र अपने कल्पित पिताके नज़दीकी रिश्तेदारका वारिस नहीं माना जाता, अतएव वह अपने कल्पित पिताकी विवाहिता स्त्री के स्त्रीधनका वारिस नहीं हो सकता, आर्येश्वरानन्दजी साहव बनाम शिवा जी राना साहेब A. I. R. 1926 Mad. 84; 49 M. L J. 568. दफा ७७३ लावारिस स्त्रीधन । दायक्रम संग्रह २-६ में कहा गया है कि ब्राह्मणीके स्त्रीधनका जब कोई वारिस न रहे तो भी राजा उसे न ले। परन्तु अब यह बात नहीं मानी जाती जब स्त्रीधन का कोई वारिस न हो तो सब तरह के स्त्रीधन की वारिस सरकार होगी।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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