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________________ दफा ७०१ ] स्त्रीधन की वरासत वृहस्पतिका मत -बम्बई हाईकोर्टके एक मामलेमें बृहस्पतिके आधार पर फैसला किया गया अगर वह फैसला बंगाल स्कूलसे लागू किया जाय तो स्त्रीका ब्राह्मविवाह हुआ हो तो उसके पति,पिता,माता और भाईके बाद उसके पतिके वारिस उत्तराधिकारी होंगे और यदि आसुर विवाह हुआ हो तो स्त्री के पिताके वारिस उत्तराधिकारी होंगे, देखो-331. A:176; 30 Bom. 431; 103. W. N. 803; 8 Bom. L. R. 446. देवदासी, वेश्या, रण्डी और लावारिस स्त्रीधनकी वरासत दफा ७७१ देवदासी और वेश्या तथा रण्डीका स्त्रीधन ___ मंदिरोंमें रहनेवाली देवदासी (दक्षिण हिन्दुस्थानमें जो कुमारियाँ नाचने गानेके लिये देव मन्दिरों में रहती हैं ) और वेश्या या रण्डी ( रण्डीसे मतलब हिन्दू रण्डीसे है) तथा वह स्त्री जो व्यभिचारके कारण पतित हो गयी हो इनकी जायदादके वरासतके विषयमें मतभेद है। परन्तु अदालतोंने यह माना है कि उनकी अनौरस संतानमें पुत्रोंसे सबसे पहिले पुत्रियां वारिस होंगी, देखो--कामाक्षी बनाम नागराथनम् : Mad. H. C. 161; नरासाना बनाम गंगू 13 Mad. 133, 21 Mad. 40.. स्ट्रेन्ज साहेबने एक यह नियम रखा है कि जिस देवदासीके संतान न हो तो उसकी जायदाद उसके मन्दिरको मिलेगी जिसमें वह नाचने गानेके लिये नियुक्त थी। परन्तु अगर ऐसा रवाज न हो तो इस नियमके माने जाने का कोई कारण नहीं है बनर्जीने भी यही राय दी है, देखो-बनर्जीका लॉ माफ मेरेज 2 Ed. P. 3977 394. - वेश्या या रण्डीकी जायदादके विषयमें एक खास तौरकी मुश्किल है वह दूसरे वारिसोंकी वरासतके सम्बन्धमें नहीं होती। एक तरफ तो यह कहा गया है कि वेश्या या रण्डी हो जानेके बाद उसके कुटुंबियोंसे स्त्रीका सम्बन्ध टूट जाता है इस लिये उसके कोई भी कुटुम्बी वारिस नहीं हो सकते, देखोस्ट्रेन्जमेन्युएल P. 89 Para 363; 21 Cal. 697; तारामनी दोसिया बनाम मोटी बनियानी 7 Ben. Sel. R. 273; 18 Mad. 1.33; 12 Mad. 277,2 Mad. H. C. 196; त्रिपुराचरण बनर्जी बनाम हरीमतीदासी 38 Cal. 495%; 15 C. W.N. 807; परन्तु दूसरी तरफ यह कहा गया है कि वेश्या या रण्डी होनेके बाद स्त्रीका सम्बन्ध उसके कुटुम्बियोंसे टूट जाना कानून नहीं मानता अर्थात् वेश्या या रण्डी होनेके पहिले स्त्रीका जो सम्बन्ध उसके बाप या उसके पति के घरानेसे था वही वेश्या या रण्डी होने के बाद भी बना रहता
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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