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________________ १३४ स्त्री-धन [ तेरहवां प्रकरण (२) दूसरे प्रकारके स्त्रीधनकी वरासत इस प्रकार होती है(क) यदि ब्राह्म विवाह स्त्रीका हुआ हो तो-- १) पति, 16 W. B. 0. R. 115. (२) भाई (३) मा(४) बाप। (ख) यदि प्रासुर विवाह या कोई दूसरा विवाह स्त्रीका हुआ हो तो (१)मा (२) बाप (३) भाई । ४) पति । (३) इन वारिसों के बाद सब प्रकारके स्त्रीधनकी वरासत, चाहे विवाह किसी रीतिसे हुआ हो निम्न लिखित होती है, बृहस्पति और जीमूतवाहनका यही मत है १-पतिका छोटा भाई--पतिका छोटा भाई वारिस होगा, विधवा के सौतेले भाईसे पहिले, देखो-37 Cal. 863; 15 C. W. N. 383; 4 C. W.N. 743. २-पतिके बड़े भाई या छोटे भाईका पुत्र । ३--बहनका बेटा। ४--पतिकी बहनका बेटा। ५-स्त्रीके भाईका बेटा। ६-लड़कीका पति ( दामाद)। पतिकी दूसरी स्त्रीके लड़केकी मौजूदगीमें पितामहकी लड़कीका लड़का वारिस नहीं होगा, देखो-6 Ben. R.77.दायभागस्पष्ट रूपसे दूसरे लोगोंका हक स्त्रीधनकी वरासतमें नहीं मानता और ऊपर ६ नम्बर तक कहे हुये वारिसोंके सिवाय नीचे लिखे आदमी भी बंगाल स्कूल में स्त्रीधनके वारिस माने गये हैं ७--स्त्रीका ससुर। .८-पतिका बड़ा भाई। 8--स्त्रीके ससुरका प्रपौत्र ।। १०-पतिका पितामह और उसकी संतान । ११-पतिका प्रपितामह और उसकी संतान । १२-पतिके सकुल्य (दफा ५८७ ) और समानोदक (दफा ५८८) उसी क्रमसे जैसा कि उत्तराधिकारका क्रम बताया गया है। . १३--दायक्रम संग्रह में इनके पश्चात् समान प्रवर रखे गये हैं। जिसका अर्थ है कि उसके पतिके समान प्रवर 12Cal. 348. पंजगन्नाथ शास्त्रीने स्त्रीके पिताके कुटुम्बियोंको दस पीढ़ी तक वारिस माना है उनके पश्चात् पत्तिके समानोदकोंको और पीछे स्त्रीके माताके कुटु. म्बियोंको वारिस माना है मगर उन्होंने समानप्रवरका ज़िक्र नहीं किया, देखो-कोलबकडाइजेस्ट Vol. 3 P. 623, बनर्जीका लॉ आफ मेरेज P. 422, 433.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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