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________________ स्त्री-धन [तेरहवां प्रकरण क़ानून में भी यही बात मानीगयी है और क्वारी स्त्री की जायदाद के विषय में भिन्न भिन्न स्कूलों में कुछ भेद नहीं है । इसकी वरासतका नियम निम्नलिखित है १ - सगे भाई । २- माता । a-frar -2 Mad. L. J. 149; 19 Mad. 107-109. ४-कारी स्त्रीके बहुत नज़दीकी रिश्तेदार यानी बापके वारिस - देखो द्वारिकानाथराव बनाम शरदचन्द्रसिंह 15 C. W. M. 1036. ६२० ५- माता के नज़दीकी वारिस मुल्ला हिन्दूलॉ दफा 123 P. 113. arपके भाईके पुत्र होते चहन वारिस होती है । और नानी के होते बापकी माकी बहन वारिस होती देखो -- जंगलूवाई बनाम जेठा अप्पाजी मारवाड़ी 32 Bom. 409; 10 Bom 1. R. 522; गांधी मगनलाल बनाम जाधव 24 Bom. 192; दादीके विषयमें देखो 1 Bom. L. R. 574; 24 Bom. 192. बम्बई -- मिताक्षरा और मयूखके अनुसार बम्बई स्कूलमें बापके सगोत्रज सपिण्डके होते बापकी बहन वारिस होती है, देखो --तुकाराम बनाम नरायन 14 Bom1. LR. 89. बङ्गाल --बङ्गाल स्कूलमें मिताक्षराला जिस प्रकारसे माना जाता है उसके अनुसार चाचा के लड़के की मौजूदगी में बहन और बहनका लड़का वारिस होता है, देखो -- ( 1912 ) 39 Cal 319. दफा ७६४ भावी वरकी दी हुई भेटें सगाई के बाद और विवाह के पहिले यदि कारी स्त्री मरजाय तो वरको वह सब भेंटें वापिस दी जायेंगी जो उसकी तरफ से दी गयी हों और उन भेटों के सम्बन्धमें वरका या कुमारीके मा, बापका या वलीका जो कुछ खर्च पड़ा हो वह उन भेटोंमें से काट लिया जायगा । मिताक्षराकार कहते हैं कि 11 यच्चावाग्दान निमित्तं वरेण सम्बन्धिनां कन्यांसम्वन्धिनां वोपचारार्थं धनं व्ययीकृतं तत्सर्वं सोदयं सबृद्धिकं कन्यादाता बराय दद्यात् । मिताक्षरा यदि वाग्दत्ता कन्या विवाह होनेसे पहिले मरजाय तो वरकी तरफसे जो धन दिया गया हो वह कन्या देनेवाला इस सम्बन्धमें जो खर्चा पड़ा हो उसे मुजरा लेकर बाक़ी धन पतिको लौटा दे। और जो धन इस बीच में कन्या
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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